27 जनवरी 2022 को टाटा संस ने आधिकारिक तौर पर एअर इंडिया को टेकओवर कर लिया। इसके बाद टाटा देश की दूसरी बड़ी एअरलाइन बन गई है। 69 सालों के बाद एअर इंडिया की घर वापसी हुई है। ऐसे में जब आज एअर इंडिया की उड़ान संख्या AI 665 ने दिल्ली से मुंबई की उड़ान भरी तो फ्लाइट के कैप्टन ने सभी पैसेंजर्स का स्वागत किया। कप्तान वरुण खंडेलवाल बोल रहा हूं। मेरे साथ विमानीय कक्ष में मेरे सहयोगी दीपाली प्रतापे भी हैं। अन्य सभी कर्मचारियों की तरफ से मैं आप सभी का स्वागत हमारे एअरबेस के जहाज एअर इंडिया की उड़ान संख्या AI 665 जो मुंबई जा रही है उसमें करता हूं। और साथ ही आप सभी का स्वागत इस ऐतिहासिक उड़ान में करना चाहूंगा। आज एअर इंडिया 7 दशक के बाद पूरी तरह से टाटा ग्रुप का हिस्सा बन चुकी है। इस नए एअर इंडिया में आपका स्वागत करुंगा। और उम्मीद करता हूं इस सफर में आप पूरी तरह से हमारे साथ आनंद उठा सकें। धन्यवाद।

एअर इंडिया की फ्लाइट में अनेक सुविधाएं दी गई, कुछ उड़ानों में पैसेंजर्स को बेहतर मेन्यू ऑफर किया जाएगा।दिल्ली-मुंबई, मुंबई-अबू धाबी की फ्लाइट पर शानदार भोजन मेन्यू होगा। उड़ानों में टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा का विशेष रिकॉर्डेड संदेश सुनाया जाएगा।फ्लाइट में होने वाली घोषणाओं में बदलाव, केबिन क्रू की नई एसओपी तैयार होगी शुरुआती फोकस ग्राहक एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने पर होगा। एअरलाइन की लेट लतीफी में सुधार किया जाएगा। मेरी पहली फ्लाइट एअर इंडिया की थी- चंद्रशेखरन​​​​​

एअर इंडिया के हैंडओवर से पहले टाटा संस के चेयरमैन PM नरेंद्र मोदी से मिले। चंद्रशेखरन ने एक चिट्‌ठी लिखी जिसमें कहा कि एअर इंडिया की जिस दिन से टाटा को दिए जाने की घोषणा हुई है, 'घरवापसी' यह शब्द सभी की जुबान पर था। हम एअर इंडिया का टाटा परिवार में आने पर स्वागत करते हैं। हमारी पहली फ्लाइट एअर इंडिया ही थी जिसमें मैंने दिसंबर 1986 में यात्रा की थी। मैं उस दिन को कभी नहीं भूल सकता। पर अब समय आगे देखने का आ गया है। मैं अपने परिवार में आपका स्वागत करते हुए टाटा ग्रुप की तरफ से यह चिट्‌ठी लिख रहा हूं। आज एक नए अध्याय की शुरुआत हुई है। पूरा देश हमारी ओर देख रहा है।

एअर इंडिया की शुरुआत अप्रैल 1932 में हुई थी। इसकी स्थापना उद्योगपति JRD टाटा ने की थी। उस वक्त नाम टाटा एअरलाइंस हुआ करता था। JRD टाटा ने महज 15 की उम्र में साल 1919 में पहली बार शौकिया तौर पर हवाई जहाज उड़ाया था, लेकिन शौक जुनून बन गया और JRD टाटा ने अपना पायलट का लाइसेंस ले लिया। एअरलाइन की पहली कॉमर्शियल उड़ान 15 अक्टूबर 1932 को भरी गई थी। तब सिर्फ सिंगल इंजन वाला 'हैवीलैंड पस मोथ' हवाई जहाज था, जो अहमदाबाद-कराची के रास्ते मुंबई गया था। प्लेन में उस वक्त एक भी यात्री नहीं था बल्कि 25 किलो चिट्ठ‍ियां थीं। चिट्ठियों को लंदन से 'इम्पीरियल एअरवेज' से कराची लाया गया था। यह एअरवेज ब्रिटेन का राजसी विमान था। इसके बाद साल 1933 में टाटा एअरलाइंस ने यात्रियों को लेकर पहली उड़ान भरी। टाटा ने दो लाख रुपए की लागत से कंपनी स्थापित की थी।