बिलासपुर ।  राज्य शासन ने प्रदेश की ग्राम पंचायतों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक कदम और बढ़ा दिया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने एक आदेश जारी कर आधारभूत संरचना के विकास के लिए पंचायतों को दी गई छूट की सीमा को बढ़ा दिया है। अब पंचायतें 50 लाख स्र्पये तक विकास कार्य को अंजाम दे सकेंगी। यह फंड उन कार्यों में खर्च किए जाएंगे जिसकी तत्काल आवश्यकता है। मतलब साफ है कि मूलभूत के कार्य में राशि का उपयोग करना है। राज्य शासन ने ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य को गति देने के लिए और छोटी-छोटी पर महत्वपूर्ण समस्याओं के लिए जनपद व जिला पंचायत के अफसरों का मुंह ताकना ना पड़े इसके लिए नई व्यवस्था कर दी है। ग्राम पंचायतों के सरपंचों को अधिकार देते हुए 50 लाख स्र्पये के विकास कार्य को पंचायत की सहमति के आधार पर करने का निर्देश जारी कर दिया है। पूर्व के निर्देशों और व्यवस्था पर नजर डालें तो ग्राम पंचायत के सरपंच को 20 लाख स्र्पये के कार्य करने की छूट दी गई थी। इसके लिए ग्राम पंचायत की बैठक और प्रस्ताव को अनिवार्य किया गया था। विकास कार्य के लिए राशि की सीमा को बढ़ा दी गई है। शर्त अब भी वहीं जारी रहेगी। गांव के किसी मोहल्ले में नाली का निर्माण कार्य करना है या अन्य कार्य करना है तो सबसे पहले ग्राम पंचायत की बैठक बुलाई पड़ेगी। पंचायतों से रायशुमारी के बाद प्रस्ताव तैयार करने होंगे। प्रस्ताव में पंचों की सहमति को भी जस्र्री किया गया है। पंचायत के सर्वसम्मति से पारित होने वाले प्रस्ताव के आधार पर सरपंच विकास कार्य को अंजाम देंगे। किसी तरह की विवाद की स्थिति बनने या फिर पंचों की असहमति होने पर कार्य करने की मनाही की गई है।

आधारभूत सरंचनाओं का होगा विकास

जिला व जनपद पंचायत के अधिकारियों का मानना है कि ग्राम पंचायतों को यह अधिकार मिलने से छोटे-छोटे कार्य अब स्थानीय स्तर पर सरपंच व पंच मिलकर आसानी के साथ कर सकेंगे। इससे ग्रामीणों को सुविधा मिलेगी व आधारभूत सरंचना के विकास में भी मदद मिलेगी।