भोपाल । मध्य प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ही कांग्रेस का चेहरा होंगे। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अभी से उनके लिए प्लान तैयार कर लिया है। अगले महीने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा शुरू हो रही है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने उनकी ये यात्रा प्रदेश के आदिवासी इलाकों से निकालने का प्रोग्राम बनाया है। खासतौर से मालवा निमाड़ पर फोकस है जो कांग्रेस के हाथ से निकल गए हैं। एमपी की राजनीति में इन दिनों हर काम और फैसले अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर लिए जा रहे हैं। फोकस आदिवासी और दलित वोट बैंक पर है। राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष पद पर संभावित ताजपोशी की अटकलों के बीच एमपी कांग्रेस ने उनका कार्यक्रम तय कर लिया है। राहुल गांधी की अगले महीने भारत जोड़ो यात्रा शुरू हो रही है। कांग्रेस ने उन इलाकों से यात्रा गुजारने का फैसला किया है जो आदिवासी बहुल हैं। बीजेपी का गढ़ बन चुके मालवा निमाड़ इसमें शामिल हैं।

यहां से गुजरेगी राहुल की यात्रा
मध्य प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आदिवासी वोटरों को रिझाने की कोशिश तेज हो गई है। कांग्रेस ने अपने परंपरागत वोट बैंक को मजबूत बनाने के लिए राहुल गांधी को आगे रखने की तैयारी कर ली है। उसने अगले महीने से शुरू होने वाली राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के लिए मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र तय कर लिए हैं। यानि कि राहुल गांधी मध्यप्रदेश में जिन इलाकों से गुजरेंगे उनमें आदिवासी क्षेत्रों को शामिल किया जाना है। पार्टी ने जो खाका तैयार किया है उसके तहत प्रदेश के मालवा और निमाड़ में राहुल गांधी की यात्रा होकर गुजरेगी। इसमें बुरहानपुर, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन और धार जिले के आदिवासी क्षेत्रों को शामिल किया गया है। राहुल गांधी की 7 सितंबर से कन्याकुमारी से यात्रा शुरू होनी है। यह यात्रा मध्य प्रदेश से होकर भी गुजरेगी। पार्टी की कोशिश है कि राहुल गांधी के चेहरे को आदिवासी  क्षेत्रों में पहुंचा कर आदिवासी वोटरों को रिझाया जाए। कांग्रेस मीडिया विभाग की उपाध्यक्ष संगीता शर्मा ने कहा मालवा निमाड़ में आदिवासी क्षेत्रों में राहुल गांधी अपनी यात्रा के दौरान आदिवासियों से रूबरू होंगे। पार्टी ने इसका खाका तैयार कर लिया है।

100 सीटों पर आदिवासियों का प्रभाव
मध्य प्रदेश के 20 जिलों में कुल 89 विकासखंड आदिवासी क्षेत्रों में आते हैं। प्रदेश की लगभग 100 सीटों पर आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं। यही वजह है कि आदिवासियों को साधने की कोशिश में सियासी दल हैं। कांग्रेस राहुल गांधी के चेहरे और उनकी यात्रा के सहारे आदिवासियों को रिझाने की कोशिश में है तो बीजेपी पेसा एक्ट लागू कर आदिवासियों को खुश करने का प्लान बना रही है। मतलब साफ है कि अगले कुछ महीनों में प्रदेश में आदिवासी वोटर ही सियासी दलों के राडार पर होंगे और उनसे जुड़ी योजनाएं।