आयुर्वेद भारत की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धतियों में से एक है। शास्त्रों और पुराणों में भी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का जिक्र मिलता है। रामायण काल में संजीवनी बूटी से लेकर महाभारत काल में युद्ध के दौरान सैनिकों के घावों को ठीक किए जाने तक के लिए आयुर्वेदिक औषधियों को प्रयोग में लाया जाता रहा है। मतलब, आयुर्वेद को दिनचर्या का हिस्सा बनाकर आप कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं में लाभ पा सकते हैं।

  • दही पाचन से लेकर सांस तक, यह कई तरह की समस्याओं को बढ़ा सकती है। यह भाद्रपद का मौसम है, ऐसे में इस मौसम में दही खाने को लेकर सभी लोगों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।
  • खान-पान को लेकर सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहना चाहिए। इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे कफ दोष का जोखिम बढ़ जाता है। दरअसल इस समय बारिश होती है अगर आप इस दौरान दही खाते हैं तो कफ जमने के साथ अन्य बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है।
  • वैज्ञानिक रूप से भी इस तर्क को माना गया है। डॉक्टर्स कहते हैं, इस मौसम में दही में बैक्टीरिया अधिक हो सकते हैं जो आंतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, ऐसे में इस मौसम में दही खाने से बचना चाहिए।
  • इससे गले में खराश, टॉन्सिल बढ़ने की समस्या और खांसी-सर्दी की दिक्कत हो सकती है। मौसम के आधार पर इन दिनों में दही का सेवन करना कफ की समस्याओं को बढ़ाने वाला होता है। यदि आपको पहले से ही सांस से संबंधित कोई दिक्कत है तो दही से बिल्कुल बचाव करें।
  • दही में मौजूद बैक्टीरिया आंतों के कार्य को प्रभावित कर देते हैं जिसके कारण आपको गैस, पेट में गड़बड़ी और अपच आदि की शिकायत हो सकती है। पाचन की दिक्कतों से बचे रहने के लिए इस मौसम में दही या इससे बनी चीजों के सेवन से बचना चाहिए।
  • इसके लिए तिल का सेवन करना आपको लाभ दे सकता है। तिल खाने से रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे कई तरह की बीमारियां दूर रहती हैं। स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए मौसमी फलों-सब्जियों का सेवन जरूर करें। शरीर को स्वस्थ और पाचन की समस्याओं से बचे रहने के लिए हल्के गुनगुने पानी का सेवन करना ज्यादा बेहतर विकल्प माना जाता है। कुछ भी खाने से पहले उसे अच्छी तरह से पानी से धोकर ही खाएं, इस मौसम में हाइजीन का ख्याल रखना भी बहुत आवश्यक हो जाता है।