नई दिल्ली । दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में वायु प्रदूषण को काबू में करने के लिए संशोधित वर्गीकृत प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) तय दिनांक से 15 दिन पहले यानी 1 अक्टूबर से लागू होगी। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने इसकी जानकारी दी। आयोग ने स्थिति की गंभीरता के अनुरूप प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लागू जीआरएपी में विस्तृत रूप से संशोधन किया है। संशोधित योजना दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सीएक्यूएम द्वारा तैयार नई नीति का हिस्सा है। यह पूर्वानुमान के आधार पर अग्रसक्रिय तरीके से प्रतिबंध लागू करने पर ध्यान केंद्रित करती है और इसके तहत पाबंदियां तीन दिन पहले से लग सकती हैं। इसके पहले, अधिकारी वातावरण में पीएम-10 और पीएम-2.5 का स्तर एक निश्चित स्तर पर पहुंचने के बाद ही प्रदूषण से निपटने के उपाय लागू करते थे।
नई योजना के तहत दिल्ली और एनसीआर के जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 से अधिक होने पर आवश्यक सेवाओं को छोड़कर बीएस-चार मानक तक के सभी चार पहिया वाहनों के परिचालन पर रोक लगाने की तैयारी है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 2017 में जीआरएपी को अधिसूचित किया था और यह सामान्य तौर पर 15 अक्टूबर से लागू होता है, जब वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि शुरू होती है।
एनसीआर के लिए जीआरएपी को खराब वायु गुणवत्ता के आधार पर चार स्तरों में वर्गीकृत किया गया है। पहला स्तर ‘खराब’ (एक्यूआई 201 से 300 के बीच), दूसरा स्तर ‘बहुत खराब’ (एक्यूआई 301 से 400 के बीच), तीसरा स्तर ‘गंभीर’ (एक्यूआई 401 से 450 के बीच) और चौथा स्तर ‘अति गंभीर’ (एक्यूआई 450 से अधिक) है। संशोधित जीआरएपी के तहत पहले स्तर पर प्रदूषण होने पर होटल में तंदूरों, खुले में संचालित ढाबों, डीजल जेनरेटर आदि में कोयला एवं लकड़ी जलाने पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया है। इस श्रेणी में केवल आवश्यक और आपात सेवाओं को इन दो ईंधनों के इस्तेमाल की छूट मिलेगी।