कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया था। फिलहाल एक बार फिर इकोनॉमी सुधर रही है। कोविड-19 की तीसरी लहर के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने भी तेजी से वापसी की है। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कांग्रेस को सौंपी एक रिपोर्ट में ये बात कही है। अपनी अर्ध-वार्षिक रिपोर्ट में ट्रेजरी ने कहा कि भारत में दूसरी लहर ने 2021 के मध्य तक डेवलपमेंट पर भारी दबाव डाला, जिससे आर्थिक सुधार में देरी हुई, लेकिन अब यह पटरी पर आ गई है।

सरकार ने 2021 में महामारी के खिलाफ अर्थव्यवस्था को वित्तीय सहायता प्रदान करना लगातार जारी रखा। आरबीआई के प्रयासों का जिक्र करते हुए ट्रेजरी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने मई 2020 से अपनी प्रमुख नीतिगत दरों को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा। साथ ही विकास को बढ़ावा देने में समर्थन दिया।

यूएस ट्रेजरी ने शुक्रवार को भारत के टीकाकरण प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि टीकाकरण रोलआउट में तेजी आने के साथ ही बीते वित्त-वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में सुधार आया है। 2021 के अंत तक भारत की लगभग 44 प्रतिशत आबादी को पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका था। 2022 की शुरुआत में भारत को कोविड-19 के ओमिक्रॉन वैरिएंट का सामना करना पड़ा, लेकिन मौतों की संख्या काफी कम रही।

2021 में गुड्स एंड सर्विस का व्यापार सरप्लस 45 अरब डॉलर तक पहुंच गया। भारत का द्विपक्षीय माल व्यापार सरप्लस 33 अरब डॉलर (37 प्रतिशत ऊपर) तक पहुंच गया, जबकि द्विपक्षीय सेवाओं का सरप्लस 2021 में बढ़कर 12 अरब डॉलर (29 प्रतिशत ऊपर) हो गया। ट्रेजरी ने कहा कि विस्तार मुख्य रूप से अमेरिका की बढ़ी हुई मांग से प्रेरित है।

भारत ने अमेरिकी ट्रेजरी विभाग की मुद्रा मॉनिटरिंग लिस्ट में शुक्रवार को अपना स्थान बनाए रखा है। ट्रेजरी विभाग की ओर से कहा गया कि भारत ने दिसंबर 2021 और अप्रैल 2021 की रिपोर्ट में तीन में से दो मानदंडों को पूरा किया। इसमें अमेरिका के साथ एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय ट्रेड सरप्लस था। वाशिंगटन ने भारत को 11 अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ रखा है, जो अपनी मुद्रा और व्यापक आर्थिक नीतियों को लेकर मजबूत माने जाते हैं। मॉनिटरिंग लिस्ट में चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, इटली, भारत, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, ताइवान, वियतनाम और मैक्सिको शामिल हैं।