भोपाल । मप्र एक प्रमुख निर्यातक राज्य बनता जा रहा है। प्रदेश से अनाज सहित कई आवश्यक वस्तुएं विदेशों में निर्यात की जाती हैं। इसका परिणाम यह है कि पिछले छह साल में प्रदेश की निर्यात दर तेजी से आगे बढ़ी हैं। आज मप्र की निर्यात दर में राष्ट्रीय औसत दर से भी अधिक वृद्धि हुई है। माना जा रहा है कि अब गेहूं के विदेश में निर्यात के बाद प्रदेश निर्यात का इतिहास रच देगा।गौरतलब है कि प्रदेश गेहूं के विदेश में निर्यात के लिए अब कदम उठा रहा है। विश्व के कई देश मप्र के गेहूं को खरीदने की तैयारी कर रहे है। वहीं अभी तक की स्थिति देखें तो बीते छह सालों में भी निर्यात की रफ्तार सरपट रही है। बीते छह सालों में मप्र की निर्यात दर में औसत 9.1 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि राष्ट्रीय औसत दर वृद्धि से भी ज्यादा है। राष्ट्रीय निर्यात दर वृद्धि महज 0.6 फीसदी है। इससे आगे चलकर मप्र के निर्यात के मामले में और बेहतर होने की संभावना बनती है।

निर्यात बढ़ाने के लिए कई सार्थक कदम
निर्यात के मामले में देश के 24 प्रमुख औद्योगिक सेक्टर में पांच मप्र के हिस्से में आते हैं। मप्र में इन पांच क्षेत्रों में बेहतर स्थिति है। इस कारण प्रदेश औद्योगिक क्लस्टर के तहत निर्यात की संभावनाओं को बढ़ाने पर भी कदम उठाए जा रहे हैं। इसमें गैरधातु खनिज, कपड़े और खाद्य उत्पाद शामिल हैं। प्रदेश से विदेश में निर्यात बढ़ाने के लिए एक जिला- एक उत्पाद योजना को लेकर भी काम हो रहा है। प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि इससे ऐसे कई उत्पाद सामने आएंगे, जिनकी विदेश तक अच्छी मांग रहेगी और जिनकी ब्रांडिंग करके निर्यात बढ़ाया जा सकेगा। इसमें उद्यानिकी फसलों सहित कई उत्पाद शामिल है। अभी भी प्रदेश से स्ट्राब्रेरी सहित कई उद्यानिकी उत्पाद विदेशों में भेजे जाते हैं। प्रदेश के अनेक उत्पाद विदेश में अच्छी पैठ बना सकते हैं, लेकिन अभी निर्यात की चेन नहीं होने के कारण ज्यादा परेशानी आती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि मार्केटिंग से लेकर सप्लाई तक की चेन बन जाए तो निर्यात कई गुना बढ़ जाएगा। अभी संबंधित व्यापारी या किसान ही अपने स्तर पर माल का निर्यात करता है। इसमें सरकार के स्तर पर खास मदद नहीं मिल पाती। निर्यात की चेन बनने से सरकार के स्तर पर भी काफी मदद हो पाएगी। इसमें किसानों के बनाए गए उत्पाद समूह अहम भूमिका निभा सकते हैं। यह समूह कई उत्पाद सीधे निर्यात भी कर सकते हैं।

गेहूं के निर्यात से बेहतर होगी स्थिति
आज मप्र की निर्यात दर में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है। यह सकारात्मक परिणाम तब सामने आए हैं, जब राज्य की अपनी कोई निर्यात नीति नहीं है। यदि विधिवत नीति होगी तो निर्यात में और उछाल आएगा। वर्ष-2015-16 से वर्ष-2020- 21 की प्रदेश की निर्यात दर का आकलन करने पर यह 9.1 फीसदी पाई गई है। सुशासन पर रिपोर्ट के लिए दिए तथ्यों में बताया गया है कि यह दर रहने के कारण मध्यप्रदेश का विदेश मुद्रा में 2008 से 2017 के बीच राष्ट्रीय निर्यात में औसत 2.1 फीसदी की हिस्सेदारी कर रहा है। यह बेहतर स्थिति है, जबकि गेहूं के निर्यात होने पर इसमें और इजाफा होगा। 2020-21 में प्रदेश से 6477 मिलियन का निर्यात हुआ है। प्रदेश ने गेहूं के निर्यात को लेकर फील्ड में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसके तहत निर्यात की संभावना को लेकर प्रदेश के विभिन्न जिलों में गेहूं की गुणवत्ता व अन्य स्थितियां देखी जाएगी। इसके  लिए मुख्यालय से टीमें इन जिलों में जाएगी। इसके अलावा गेहूं की ग्रेडिंग के लिए भी कदम उठाने तय है। इसके लिए नियमावली तैयार होगी। इसके बाद मैदानी क्रियान्वयन शुरू होगा।