कानपुर ।  टैटू बनवाने की सोच रहे हैं, तो जान लीजिए कि आपकी एक छोटी सी चूक एचआइवी, हेपेटाइटिस बी और सी जैसी बड़ी बीमारी को न्योता दे सकती है। इसकी वजह टैटू बनवाने वालों को शायद न पता हो। दरअसल, टैटू गोदने वाली सुई काफी महंगी होती है। इस वजह से टैटू आर्टिस्ट एक सुई से कई लोगों का टैटू बनाने का प्रयास करते हैं। उसे अच्छी तरह से वायरस-बैक्टीरिया मुक्त भी नहीं करते। यही वजह है हाल के दिनों में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जब टैटू बनवाने लोग एचवाईवी और हैपेटाइटिस बी के शिकार हो गए हैं।
वजह साफ है, अगर टैटू बनवाने वाला कोई व्यक्ति एचआइवी या हेपेटाइटिस बी या सी संक्रमित है, तो उस संक्रमित सुई के जरिए दूसरे लोग भी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
हाल में वाराणसी में इसी तरह टैटू बनवाने से 12 लोग एचआइवी संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। ऐसे में जब भी टैटू बनवाने जाएं तो नई पैकिंग खुलवाकर अपने सामने ही सुई जरूर बदलवाएं।
नामचीन खिलाड़ियों और सिने अभिनेता-अभिनेत्रियों को देखकर विगत कुछ वर्षों में युवाओं में टैटू बनवाने का चलन तेजी से बढ़ा है। यही वजह है कि जगह-जगह टैटू गोदने की दुकानें खुल गई हैं। हालांकि लड़कों की अपेक्षा युवतियों में इसका क्रेज ज्यादा है। टैटू बनवाने के उतावलेपन की वजह से अपनी सुरक्षा को लेकर अंजान रहते हैं। कानपुर में स्वरूप नगर, सर्वोदय नगर, काकादेव, माल रोड, परेड, साकेत नगर, गोविंद नगर, रावतपुर, कल्याणपुर, किदवई नगर क्षेत्र में टैटू बनाने वालों की दुकानें हैं। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के न्यूरो सर्जन डा। मनीष सिंह ने कहा कि अगर आपको टैटू बनवाना है तो भूल कर भी सस्ते के चक्कर में न पड़ें। सड़क किनारे फुटपाथ पर खुली दुकानों पर अनट्रेंड (गैर प्रशिक्षित) लोगों से टैटू बनवाने से बचें। ऐसी दुकानों में चीनी सुई इस्तेमाल होती है। रंगों की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं होती। टैटू बनाने वाला उपकरण भी दोयम दर्जे का होता है, जिससे त्वचा के क्षतिग्रस्त होने और एलर्जी का खतरा रहता है। एक सुई और रंग से कइयों को टैटू बनाते हैं, जिसमें कुल लागत 200 से 500 रुपये आती है। अच्छे सेंटर पर प्रोफेशनल (प्रशिक्षित) टैटू आर्टिस्ट होते हैं। यहां सुरक्षा मानकों का ध्यान रखा जाता है। टैटू बनाने के बाद उपकरणों को कीटाणुमुक्त किया जाता है। रंग, उपकरण और सुई भी उच्च गुणवत्ता के होते हैं। ऐसी जगहों पर 500 रुपये प्रति स्क्वायर इंज के हिसाब से टैटू बनाने का चार्ज लिया जाता है। रंग का चार्ज अलग होता है। एचआइवी संक्रमण, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी, त्वचा में एलर्जी, त्वचा क्षतिग्रस्त होने का खतरा।
टैटू बनवाते समय त्वचा छिल जाती है। इस वजह से टैटू की सुई शरीर के ब्लड और प्लाज्मा के संपर्क में आ जाती है। अगर सुई से एक से अधिक व्यक्ति को टैटू बनाया जाता है तो एक-दूसरे के गंभीर बीमारी से संक्रमित होने का खतरा है। ऐसे में एचआइवी, हेपेटाइटिस बी और सी से दूसरे के संक्रमित होने का भी खतर रहता है।