अयोध्या । भगवान को लेकर जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित के बयान से अयोध्या के संतों में भारी नाराजगी है। अयोध्या के संत समाज ने बयान की निंदा करते हुए उन पर जोरदार हमला बोला है। संतों ने कहा है कि वे इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे और जेएनयू की कुलपति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग करेंगे। इतना ही नहीं, संतों ने हिंदुओं से कुलपति के खिलाफ हर जिले में एफआईआर दर्ज कराने की अपील की।
उल्लेखनीय है कि जेएनयू की कुलपति ने कहा था कि देवता उच्च जाति से नहीं हैं और यहां तक ​​कि भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या जनजाति से हो सकते हैं। कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित के बयान पर हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि समाज की व्यवस्था को सुदृढ़ रखने के लिए समाज में वर्ण व्यवस्था की गई थी, मगर जेएनयू की कुलपति भगवान को भी जातियों में बांट रही हैं।
राजू दास ने कहा हम इनके बयान की निंदा और विरोध करते हैं। जेएनयू की कुलपति के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कराया जाना चाहिए। हिंदू संगठनों से अपील करते हुए राजू दास ने कहा कि ऐसे लोग जो सनातन धर्म पर लगातार हमला कर रहे हैं, उनके ऊपर हर जिले में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए, तभी ये लोग मानेंगे। वहीं, तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर जगतगुरु परमहंसाचार्य ने कहा भगवान जाति से ऊपर हैं। परमात्मा सब के हैं। इस तरह की टिप्पणी भगवान शिव के लिए बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
जगदगुरु परामहंसाचार्य ने कहा कि उनको सनातन धर्म की जानकारी नहीं है। पहले चारों वेदों को पढ़ करके उस पर जानकारी लें। कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि अगर कार्रवाई नहीं होती है तो जल्द ही संत समाज प्रधानमंत्री से मुलाकात कर जेएनयू से हटवाने के लिए प्रयास करेंगे। जगदगुरु ने कहा कि सनातन धर्म के खिलाफ हर कोई अनाप-शनाप बोलता रहता है, अब यह नहीं चलेगा। जो सनातन धर्म का अपमान करेगा, उसको साधु समाज माफ नहीं करेगा।
हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि जेएनयू की कुलपति का बयान साधु समाज और हिंदू जनमानस को अपमानित करने वाला है। यह एक सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का जरिया बनता जा रहा है। टुकड़े टुकड़े गैंग के लोग और समाजद्रोही लोग सनातन संस्कृत को अपमानित करने का काम अब तीखी जुबान से करते रहते हैं। जेएनयू की कुलपति का ताजा बयान निंदनीय है। वहीं, तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगदगुरु परमहंसाचार्य ने कहा कि जेएनयू की कुलपति का बयान आपत्तिजनक है। इस पर दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए। जगदगुरु परमहंसाचार्य ने कहा कि जेएनयू से देश विरोधी मानसिकता के लोग निकलते रहे हैं।
देश में जाति-संबंधी हिंसा की घटनाओं के बीच जवाहर लाल नेहरु (जेएनयू) की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित ने सोमवार को कहा था कि मानव-विज्ञान की दृष्टि से देवता उच्च जाति से नहीं हैं और यहां तक ​​कि भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या जनजाति से हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैं सभी महिलाओं को बता दूं कि मनुस्मृति के अनुसार सभी महिलाएं शूद्र हैं, इसलिए कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है और आपको जाति केवल पिता से या विवाह के जरिये पति की जाति मिलती है। मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जो असाधारण रूप से प्रतिगामी है। नौ साल के एक दलित लड़के के साथ हाल ही में हुई जातीय हिंसा की घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी भगवान ऊंची जाति का नहीं है। उन्होंने कहा आप में से अधिकांश को हमारे देवताओं की उत्पत्ति को मानव विज्ञान की दृष्टि से जानना चाहिए। कोई भी देवता ब्राह्मण नहीं है, सबसे ऊंचा क्षत्रिय है। भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से होने चाहिए क्योंकि वह एक सांप के साथ श्मशान में बैठते हैं और उनके पास पहनने के लिए बहुत कम कपड़े हैं। मुझे नहीं लगता कि ब्राह्मण श्मशान में बैठ सकते हैं।