भोपाल। राजधानी की भोपाल सायबर क्राईम टीम ने राजधानी निवासी फरियादी के साथ नौकरी के नाम पर 1 करोड़ 35 लाख की ठगी करने वाले नेपाली नागरिक सहित दो शातिर जालाजसा को दिल्ली से गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। एड. डीसीपी क्राइम ब्रांच शैलेंद्र सिंह चौहान के अनुसार कोलार इलाके में रहने वाले फरियादी रंजीत सिंह ने लिखित शिकायती आवेदन देते हुए बताया था, कि वो पूर्व में एक मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी करते थे।  काम के साथ ही पार्ट टाइम जॉब का ऑफर दिलाने को झासां देकर उनसे अज्ञात आरोपियो ने 1 करोड़ 35 लाख की रकम ठग ली। जॉच के बाद धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओ में मामला कायम कर थाना क्राइम ब्रांच ने आगे की पड़ताल शुरु की। सायबर क्राईम भोपाल टीम ने तकनीकी एनालिसिस के आधार पर हाथ लगे सुरागो के आधार पर नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधडी करने वाले कॉल सेंटर से नेपाल नागरिक सहित दो आरोपियों को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। आरोपियो में शामिल पहचान देवजीत दत्ता पिता सातकरी दत्ता (26) निवासी, वर्धनाम पश्चिम बंगाल हाल पता, पालम दिल्ली का काम लोगो को कॉलिग कर रजिस्ट्रेशन की जानकारी देकर अपने जाल में फंसाने का था। वहीं दूसरे जालसाज दिवाकर मिश्रा पिता कृष्ण चंद्र (34) निवासी, जनकपूरी नेपाल हाल पता, दशरथ पुरी दिल्ली जिसने बीए किया है, वो इस कॉल सेंटर का संचालक है। टीम ने उनके पास से 4 मोबाईल, 2 लेपटॉप जप्त किये है।
अधिकारियो के अनुसार दोनो जालसाजो से पूछताछ में सामने आया कि पहले वो अलग-अलग नाम से जॉब देने वाली कम्पनी के नाम की वेबसाइट बनाते थे। इसके बाद उस वैबसाइट को विजिट करने वाले लोगों को डाटा निकाल कर उन्हें कॉल कर उनकी जरूरत के हिसाब की अच्छी सैलरी पर नौकरी दिलवाने का लालच देते। जालसाजो ने अपनी वैबसाइट को इस तरह डिजाइन किया था, जिसमे उस वेबसाइट मे ही पेमेंट गेटवे उपलब्ध होता जिसके कारण विजिट करने वाले युजर उस वेबसाइट पर भरोसा करने लगते थे, और रकम की ठगी उसी पेमेंट गेटवे के व्दारा की जाती थी। नौकरी पाने के जाल मे फंसने वाले लोगो से ठगो द्वारा कई तरह की प्रोसेसिंग फीस सहित अलग-अलग चार्ज के नाम पर रकम की मांग कर जमा करा लेते थे। जालसाज पुलिस से बचने और अपनी पहचान छुपाने के लिये लोगो को फर्जी नबरों से कॉल करते, इतना ही नहीं एक नम्बर से 5 या 10 कॉल करने के बाद उसे बंद कर देते थे। ठगो द्वारा वैबसाइट के पैमैट गेटवे मे भी फर्जी दस्तावेज लगा कर गेटवे प्राप्त किया जाता था। अधिकारियो ने बताया कि आरोपीयो व्दारा फरियादी से बात करने के लिये मेल आईडी का उपयोग किया जाता था। मेल आईडी का उपयोग वीपीएन लगा कर किया जा रहा था, साथ ही गेटवे मे लिंक बैंक एकाउंट से रकम एटीएम के जरिये देश के अलग-अलग राज्यों से निकाली जा रही थी। जालसाज अभी तक 97 लोगो के साथ करोड़ो की धोखाधडी कर चुके है, नकली पहचान बताकर लोगो से बात करने वाले ठग समय-समय पर अपने कॉल सेंटर की लोकेशन बदलते रहते थे। पुलिस जप्त माल के आधार पर आगे की पड़ताल कर रही है।