नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट  ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय प्रशासन के एक पूर्व छात्र की ओर से दाखिल याचिका को गंभीरता से लिया है। पूर्व छात्र ने याचिका के जरिए जेएमआई  की अहम जमीन की बिक्री के लिए नियमों की अनदेखी कर थर्ड पार्टी जकिया जहीर को अनापत्ति प्रमाण पत्र देने के फैसले को चुनौती दी है। याची ने इसकी जांच की भी मांग की है।  दिल्ली हाई कोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय प्रशासन के एक पूर्व छात्र की ओर से दाखिल याचिका पर जेएमआई को नोटिस जारी किया है। अदालत ने जेएमआई प्रशासन से ये भी कहा कि नियमों से परे जाकर एनओसी जारी क्यों हुआ, इसका विस्तार से जवाब दें। हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन ने से पूछा है कि थर्ड पार्टी जकिया जहीर अहम जमीन बिक्री के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) देने के फैसला क्यों लिया गया। कुछ समय पहले तक रजिस्ट्रार रहे नजीम हुसैन अल जाफरी ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रार द्वारा एनओसी देने से इनकार करने के बाद भी थर्ड पार्टी को एनओसी जारी करने का फैसला जामिया प्रशासन ने लिया। याची हरीसुल हक जो जामिया मिडिल स्कूल में शारीरिक शिक्षा शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं और जामिया स्कूल टीचर्स एसोसिएशन के निवर्तमान सचिव हैं, का आरोप है कि विश्वविद्यालय उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए बिना भूमि की बिक्री के लिए एनओसी जारी करने का प्रयास कर रहा है। उनका दावा है कि यह कार्रवाई मनमाने और अवैध तरीके से की जा रही है, जिसका लाभ थर्ड पार्टी के लोग उठा रहे हैं। पूर्व रजिस्ट्रार नजीम जाफरी अपने हलफनामें में कहा था कि चार अगस्त 2023 को भूमि बिक्री की इजाजत देते समय वीसी ने थर्ड पार्टी को एनओसी जारी को कहा था। जबकि मैंने, वैसा करने से इनका कर दिया था। इसके बाद वीसी के कहने पर 23 अगस्त 2023 को विभागीय प्रमुख ने बैक डेट में एनओसी जाने करने का आदेश दिया था।