नई दिल्ली । रिपोर्ट के आधार पर परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने पर जम्मू-कश्मीर में 90 विधानसभा क्षेत्र होंगे। रिपोर्ट जारी होने के साथ ही केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव का रास्ता साफ हो गया है, संभावना है कि इस साल नवंबर-दिसंबर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के साथ ही जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव कराए जा सकते हैं।
परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू रीजन में 6 और कश्मीर में एक सीट बढ़ेगी। सभी पांचों संसदीय क्षेत्रों में विधानसभा नर्विचन क्षेत्रों की सीटों की संख्या पहली बार बराबर-बराबर रखी गई है। हर लोकसभा सीट में विधानसभा की 18 सीटें होंगी। 47 सीटें कश्मीर संभाग में और 43 सीटें जम्मू संभाग में होंगी। अभी तक कश्मीर में 46 और जम्मू में विधानसभा की 37 सीटें थीं। यहां पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए 9 सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव किया है। पहले की तरह ही 7 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होंगी।
जम्मू-कश्मीर में जून 2018 से कोई चुनी हुई सरकार नहीं है। परिसीमन रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी और इसके बाद राजपत्रित अधिसूचना के माध्यम से आदेश जारी किया जाएगा। उसके बाद ही चुनाव का ऐलान होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इसका वादा किया है कि चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर को राज्यों की तरह काम करने का मौका मिलेगा। यह पैनल सरकार ने मार्च 2020 में बनाया था। इसकी हेड सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई थीं। इसके अलावा चीफ इलेक्शन कमिश्नर सुशील चंद्रा और डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर चंदर भूषण कुमार इस पैनल में शामिल थे।
इससे पहले जम्मू-कश्मीर में 1995 में परिसीमन हुआ था। उस समय जम्मू-कश्मीर में 12 जिले और 58 तहसील थीं। इस समय केंद्र शासित प्रदेश में 20 जिले हैं, और तहसीलों की संख्या बढ़कर 270 हो गई है। परिसीमन का मुख्य आधार जनसंख्या रहता है। इसके अलावा भौगोलिक स्थिति का भी ध्यान रखा जाता है। पिछली बार परिसीमन करने में आयोग को सात साल का वक्त लगा था। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के बाद संभावना है कि नवंबर-दिसंबर में जम्मू-कश्मीर में चुनाव हो जाए। इसका आधार गृह मंत्री अमित शाह के बयान को माना जा रहा है। फरवरी में उन्होंने कहा था कि परिसीमन की प्रक्रिया जल्द पूरी होने वाली है और अगले छह से आठ महीने में वहां विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं, उन्होंने कहा था कि इसमें किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं है।