कोरोना के दो वर्ष बाद भी इसके संक्रमण से पीड़ित मरीजों में असर बरकरार है। इस वजह से कोरोना के गंभीर संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती रहे करीब 65 प्रतिशत और घर पर रहकर इलाज करने वाले कोरोना के 31 मरीजों में दो वर्ष बाद भी पोस्ट कोविड के हल्के लक्षण बरकरार रहे।

विदेश में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है, जो मेडिकल जर्नल नेचर में प्रकाशित हुई है। इसकी जानकारी देते हुए एम्स के पल्मोनरी मेडिसिन के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. ने कहा कि यहां भी ओपीडी में थकान, चलने में सांस फूलने, पैरों में दर्द, बार-बार अस्थमा के अटैक, सांस लेने में दिक्कत, तनाव, वजन बढ़ने और बलगम आने की शिकायत के साथ ऐसे मरीज पहुंचते हैं, जिन्हें पहले कोरोना हुआ था।

सात प्रतिशत मरीजों को थी दिल की बीमारियों से संबंधित परेशानी

उन्होंने बताया कि अध्ययन में कोरोना से पीड़ित एक लाख 40 हजार और करीब 60 लाख ऐसे लोगों से भी जिन्हें कोरोना नहीं हुआ था। दोनों वर्गों के लोगों पर तुलनात्मक से यह अध्ययन किया गया है। अध्ययन में पाया गया कि सात प्रतिशत मरीजों को दिल की बीमारियों से संबंधित परेशानी थी।

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इसके अलावा पेट से संबंधित परेशानियां 36 प्रतिशत, किडनी की बीमारी 15 प्रतिशत, मानसिक परेशानियां 75 प्रतिशत, न्यूरो से संबंधित परेशानी 50 प्रतिशत मरीजों में देखी गई।

उन्होंने कहा कि यह बड़ा अध्ययन है। वह ओपीडी में मरीज से कोरोना से संबंधित हिस्ट्री जरूरत लेते हैं। लेकिन हर लक्षण को पोस्ट कोविड समझकर दूसरी बीमारियों की जांच करना नहीं भूलना चाहिए।