इस्लामाबाद । अमेरिका ने चीन की तीन कंपनियों और बेलारूस की एक कंपनी पर प्रतिबंध लगा दिया हैं। लंबी दूरी की मिसाइल सहित पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के लिए इन कंपनियों से उपकरणों की सप्लाई होती है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इससे जुड़ी जानकारी दी है, जो पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है। चीन, पाकिस्तान का सर्वकालिक सहयोगी है। वह पाकिस्तान के महत्वाकांक्षी सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम के लिए हथियारों और रक्षा उपकरणों का मुख्य आपूर्तिकर्ता रहा है। पाकिस्तानी जानकार ने कहा कि अमेरिका से जब पैसा लिया जाएगा तब इस तरह के दबाव आएगा। 
विदेशी मामलों के जानकार साजिद तरार ने कहा, पाकिस्तान आज कमजोर है, दुनिया पाकिस्तान को जितना हो सके उतना कमजोर करने की कोशिश कर रही है। तरार ने पाकिस्तान के नेताओं को लताड़ लगाकर कहा कि आज आईएमएफ पाकिस्तान की तुलना उन देशों के साथ करता है, जहां गृह युद्ध चल रहा है। पाकिस्तान के नेताओं को सोचना चाहिए कि आज हम किस हाल तक पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया भी सोचती होगी कि पाकिस्तान लॉन्ग टर्म को लेकर क्यों काम नहीं करता।
इजरायल के साथ तनाव के बीच ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी 22 अप्रैल को पाकिस्तान की यात्रा पर आने वाले हैं। उससे पहले अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए हैं। माना जा रहा है कि यह पाकिस्तान को संदेश है, कि वे ईरान से दूर रहे, गैस पाइपलाइन की डील न करे। इस पर तरार ने कहा, ईरान के साथ पाइपलाइन की डील करो या न करो मरना पाकिस्तान को ही है। क्योंकि अगर डील की, तब अमेरिका प्रतिबंध लगाएगा और अगर नहीं की तब अरबों का जुर्माना लगेगा। उस आदमी पर केस होना चाहिए, जिसने ये डील की है। ये सीधे तौर पर सिग्नल है। जब ईरान जंग में है, तब उनके राष्ट्रपति को नहीं बुलाना चाहिए। ये ठीक उसी तरह है, जैसे यूक्रेन युद्ध के दौरान इमरान रूस चले गए थे।
तरार ने कहा कि अमेरिका पैसा दे रहा है और फिर प्रतिबंध लगा रहा है। ये ठीक उसी तरह है जैसे दो रोटी खिलाकर कोई चार थप्पड़ मारे।