आदिवासियों का भरोसा जीतने भाजपा की नई रणनीति
भोपाल । प्रदेश की 22 फीसदी आबादी यानी आदिवासियों को साधने के लिए भाजपा कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का पूरा फोकस आदिवासियों पर है। भाजपा अब सोशल मीडिया से जुड़े आदिवासियों को पार्टी से जोडऩा चाहती है। इसके लिए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने निर्देश दिए हैं। शर्मा ने कार्यकर्ताओं से कहा कि जनजातीय वर्ग के शिक्षित और सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले युवाओं को पार्टी से जोड़ें। साथ ही आदिवासी बहुल गांवों में सरकार द्वारा जनजातीय वर्ग के लिए चलाई जा रहीं योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए भी टीम तैयार की जाए।
उधर, झाबुआ में भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में आदिवासी अंचलों में पार्टी की जीत को लेकर विशेष रणनीति बनाई गई। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, बीजेपी एसटी मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष कल सिंह भाबर भी मौजूद रहे।
47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित
साल 2018 के चुनाव में आदिवासी क्षेत्रों की सीटें हारने की वजह से भाजपा को सत्ता गंवानी पड़ी थी। प्रदेश में करीब 47 विधानसभाएं आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। प्रदेश की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जनजाति की संख्या 21.1 प्रतिशत है। 2018 में कांग्रेस ने इनमें से 30 सीटें जीती थीं। भाजपा की संख्या घटकर 16 हो गई थी, जबकि 2013 के चुनाव में भाजपा के पास 31 सीटें थीं। यही कारण है कि सत्ता और संगठन ने आदिवासी वर्ग के बीच पैठ बढ़ाने के लिए कई गतिविधियां शुरू की हैं। छिंदवाड़ा, झाबुआ, डिंडोरी में सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। इसके अलावा मंडला, बालाघाट, बैतूल, खरगोन, बड़वानी, धार, अनूपपुर में आधी से ज्यादा विधानसभाओं में कांग्रेस के विधायक हैं। इन जिलों को लेकर बीजेपी विशेष रणनीति बना रही है। एसटी मोर्चे की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में आदिवासी वर्ग की उपजातियों के मुख्य लोगों को बीजेपी से जोडऩे को लेकर भी चर्चा हुई है। बीजेपी को प्रदेश के आदिवासी बहुल 16 जिलों में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इन जिलों की एसटी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों को लेकर विशेष रणनीति बन रही है।
सोशल मीडिया पर सक्रियता बड़ी चुनौती
झाबुआ में चल रही बैठक में इस बात पर मंथन हुआ है कि आदिवासी वर्ग के युवाओं की सक्रियता सोशल मीडिया पर बढ़ी है। जयस के साथ जुड़ रहे नौजवानों को लेकर भी चिंता जताई गई है। आदिवासी जिलों में लगातार हो रहे बड़े आंदोलनों के कारण बढ़ रहे असंतोष पर भी मंथन हुआ है। बैठक में तय हुआ है कि पढ़े-लिखे शिक्षित युवाओं को केन्द्र और राज्य सरकार की रोजगार और स्वरोजगार वाली योजनाओं से लाभान्वित कराने के लिए पार्टी स्तर पर एसटी मोर्चा अभियान चलाएगा। इन्हीं शिक्षित युवाओं को भाजपा सरकार की योजनाओं के प्रति आदिवासी वर्ग में जागरुकता बढ़ाने को लेकर चर्चा हुई है।