मप्र में कांग्रेस चलाएगी ओपीएस का फॉर्मूला
भोपाल । हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की तरह कांग्रेस मप्र में भी पुरानी पेंशन के फार्मूले को भुनाएगी। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने जबलपुर में इसकी घोषणा की दी है और इसे मप्र के लिए 5 गारंटी की सूची में शामिल भी कर लिया है। पुरानी पेंशन बहाली के इस फॉर्मूले को कांग्रेस पार्टी, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक चुनाव में परख चुकी है। इन दोनों राज्यों में मिली सफलता के बाद कांग्रेस पार्टी ने अब मप्र के विधानसभा चुनाव के लिए ओपीएस के फॉर्मूले को अपने एजेंडे में शामिल करने का निर्णय लिया है। प्रियंका गांधी ने पुरानी पेंशन पर भाजपा की कमजोर कड़ी पकड़ ली है।
हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर प्रियंका गांधी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी पुरानी पेंशन लागू करने का वादा किया था। कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के पीछे सरकारी कर्मियों की एक बड़ी भूमिका रही है। सोमवार को प्रियंका गांधी ने मध्यप्रदेश में जिन पांच गारंटी की बात कही है, उनमें सरकारी कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली भी शामिल है। इस साल मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्यों में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने पहले ही पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू कर दी है।
केंद्र में स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सचिव और नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के संयोजक शिव गोपाल मिश्रा के मुताबिक, पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे की गहराई भाजपा समझ नहीं पा रही है। भाजपा अब भी एनपीएस में सुधार की बात कहती है, जबकि कर्मचारी संगठन कह चुके हैं कि उन्हें पुरानी पेंशन बहाली से परे कुछ भी मंजूर नहीं है। एनपीएस को समाप्त करना ही पड़ेगा। अब ओपीएस का मुद्दा हर राज्य में पहुंच चुका है। 2024 के लोकसभा चुनाव और उससे पहले कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे का असर देखने को मिलेगा। देश में सरकारी कर्मचारी, पेंशनरों और उनके परिवारों को मिलाकर देखें, तो वह आंकड़ा 10 करोड़ से पार चला जाता है। कर्मचारियों ने पहले भी कहा है कि जो पुरानी पेंशन बहाल करेगा, वही देश पर राज करेगा।
केंद्र सरकार, ओल्ड पेंशन स्कीम के पक्ष में नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसे आने वाली पीढिय़ों पर बोझ बता चुके हैं। उन्होंने पुरानी पेंशन को लेकर कहा था कि ऐसा पाप न करें, जो आपके बच्चों का अधिकार छीन ले। पीएम ने आर्थिक संकट में फंसे एक पड़ोसी मुल्क का उदाहरण भी दिया। देश में कुछ राज्य आज उसी राह पर चल रहे हैं। वे तत्कालीन भुगतान के चक्कर में देश को बर्बाद कर देंगे। अपने फैसलों के द्वारा वे आने वाली पीढिय़ों पर भारी बोझ डाल रहे हैं। इसके बाद कर्मचारी संगठनों और विपक्ष के दबाव में केंद्र सरकार ने इस मामले में जो कमेटी गठित की है, उसके एजेंडे में कहीं भी ओपीएस का जिक्र नहीं है। सरकार ने नेशनल पेंशन स्कीम यानी एनपीएस में बदलाव के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में चार सदस्यों की कमेटी की है।
केंद्र सरकार ने कह दिया है, यह कमेटी देखेगी कि क्या सरकारी कर्मचारियों पर लागू राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के मौजूदा ढांचे और संरचना के आलोक में, कोई परिवर्तन आवश्यक है। यदि ऐसा है, तो राजकोषीय निहितार्थों और समग्र बजटीय स्थान पर प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत आने वाले सरकारी कर्मचारियों के पेंशन संबंधी लाभों में सुधार की दृष्टि से इसे संशोधित करने के लिए उपयुक्त उपायों के लिए सुझाव देना है। इसमें आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए राजकोषीय विवेक बनाए रखने पर ध्यान दिया जाएगा। कमेटी को लेकर जो अधिसूचना जारी की गई, उसमें कहीं भी ओपीएस नहीं लिखा है।