भोपाल ।   दो हजार रुपए के नोट बदलवाने के लिए प्रदेश के अन्य शहरों से लोग भोपाल पहुंच रहे हैं। अरेरा हिल्स स्थित भारतीय रिर्जव बैंक में सुबह से लंबी कतारें लग रही हैं। लोग अपने सभी काम छोड़कर नोट बदलवाने के लिए परेशान हैं। नोट बदलवाने के लिए यहां सुबह छह बजे से लाइन लग रही हैं। बता दें कि बैंक से दो हजार के नोट के बदले उन्हें 10-20 रुपये के सिक्के दिए जा रहे हैं, जिनका वजन 10 से लेकर 15 किलो तक होता है, जिन्हें लोग गठरी बनाकर ले जा रहे हैं। दो हजार के नोटों को जमा करने या बदलने की सुविधा शुरुआत में 30 सितंबर तक देश की सभी बैंक शाखाओं में थी, जिसे बाद में सात अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया था, लेकिन त्योहार के चलते या किसी कारणवश लोग नोट बदलवाना भूल गए थे। तब वे किसी भी बैंक में अपने खाते में रुपए जमा कर सकते थे। ये सुविधा 19 मई से भारतीय रिजर्व बैंक के 19 निर्गम कार्यालयों में भी उपलब्ध थी। 19 मई तक चलन में मौजूद दो हजार नोटों में से 97.26 प्रतिशत वापस आ गए हैं।

दो दिनों तक रुकना पड़ रहा नोट बदलवाने के लिए

पूरे प्रदेश के लोग भोपाल पहुंच रहे हैं। इनकी संख्या एक हजार से 15 तक पहुंच जा रही है। ये सुबह छह बजे से कतार में लग जाते हैं। इसमें महिलाओं और पुरुषों की एक ही कतार लगाई जा रही है, लेकिन एक दिन में सिर्फ 500 टोकन ही दिया जा रहा है, जिससे दूर से आने वाले लोगों को किसी परिचित के यहां तो होटलों में रात गुजारनी पड़ रही है। यानी नोटों को बदलवाने के लिए उन्हें एक से दो दिन का समय लग रहा है।

नोट बदलने के लिए लगे एजेंट, ले रहे मोटी रकम

लोगों ने बताया कि नोट बदलवाने के लिए एजेंट भी सक्रिय हो गए हैं। वे एक बार में तीन से चार लोगों के नोट बदलवा रहे हैं। बैंक में भी उन्हें ही प्राथमिकता दी जा रही है। सीधी से आए विनय पांडे ने बताया कि यहां नोट बदलवाने में काफी परेशानी हो रही है। मैं सुबह आया हूं, लेकिन मेरे नोट नहीं बदल पाए इसलिए कल का इंतजार करना पड़ेगा। पहले टोकन के लिए लाइन लगाती पड़ती है।

इसके बाद नोट बदलवाने के लिए अलग से लाइन में खड़ा होना पड़ता है, जिसमें सात से आठ घंटे लग रहे हैं। वहीं रामस्वरूप ने बताया कि मैं दो दिन पहले ग्वालियर से आया हूं, लेकिन अभी तक टोकन नहीं मिला। कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अन्य लोगों ने भी बताया कि अंदर मौजूद अधिकारी उन्हें रुपए खाते में ट्रांसफर करने या फिर चिल्लर देने की बात कह रहे हैं। ज्यादातर लोग रुपए ट्रांसफर करने के बजाय सिक्के ही लेकर जा रहे हैं।