नई दिल्ली । 7/11 मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में मौत की सजा पाए दोषी एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी की याचिका को खारिज कर दिया। एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत उन अधिकारियों के बारे में विवरण मांगा था, जिन्होंने मामले की जांच की और उसकी गिरफ्तारी और अभियोजन को मंजूरी दी थी। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने जानकारी देने से इनकार करने के केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के निर्णय को बरकरार रखते हुए कहा कि जानकारी उपलब्ध कराने से अधिकारियों को गंभीर खतरा हो सकता है। अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि यह सार्वजनिक हित में है कि मांगे गए विवरण का रहस्योद्घाटन नहीं किया जाए। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई जानकारी उन अधिकारियों के खिलाफ है जो जांच में शामिल थे और जो याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी और दोषसिद्धि से संबंधित अभियोजन को मंजूरी देने में भी शामिल थे। अदालत ने कहा कि भले की घटना को हुए 20 साल बीत चुके हैं, लेकिन उक्त जानकारी उपलब्ध कराना संभव नहीं होगा। सिद्दीकी को मुंबई में लोकल ट्रेनों में हुए विस्फोटों में शामिल होने के लिए एक विशेष अदालत ने वर्ष 2015 में मौत की सजा सुनाई थी। इस विस्फोट में 189 लोगों की मौत हो गई थी और 800 से अधिक लोग घायल हो गए थे। सिद्दीकी वर्तमान में नागपुर सेंट्रल जेल में बंद है।