आज मंदिरों में मनाया जाएगा नेत्रोत्सव, निकलेगी रथयात्रा......
रायपुर। लगभग 15 दिनों पहले ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ अत्यधिक स्नान से अस्वस्थ हो गए थे। भगवान को स्वस्थ करने के लिए औषधियुक्त काढ़ा पिलाने की रस्म निभाई जा रही है। अमावस्या तिथि पर भगवान को अंतिम काढ़ा पिलाने की रस्म निभाई गई। काढ़ा का भोग लगाकर श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में वितरित किया गया। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान स्वस्थ हो जाएंगे और नेत्र खोलेंगे। मंदिरों में नेत्रोत्सव मनाया जाएगा। नेत्रोत्सव के अगले दिन द्वितीया तिथि पर 20 जून को भगवान अपनी प्रजा से मिलने रथ पर सवार होकर भ्रमण करेंगे और मौसी के घर जाकर विश्राम करेंगे।
काढ़ा का प्रसाद लेने पहुंचे श्रद्धालु
स्वर्ण भस्म, केसर, इलायची, अदरक, आमी हल्दी, सौंठ, कालीमिर्च, जायफल, अजवाइन, करायत के मिश्रण से काढ़ा तैयार किया गया। पुजारी ने काढ़ा का भोग अर्पित किया। काढ़ा का प्रसाद लेने अनेक श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। ऐसी मान्यता है कि भगवान को लगाए गए काढ़ा के भोग का प्रसाद ग्रहण करने से व्यक्ति निरोगी होता है। भगवान की उस पर कृपा होती है।
20 जून को रथयात्रा की तैयारी
राजधानी के लगभग 10 जगन्नाथ मंदिरों में 20 जून को निकाली जाने वाले रथयात्रा की तैयारी जोरशोर से चल रही है। गायत्री नगर, सदरबाजार, टुरी हटरी पुरानी बस्ती, लिली चौक, आमापारा, अश्विनी नगर, पुराना मंत्रालय परिसर, आकाशवाणी कालोनी, गुढ़ियारी, कोटा के मंदिरों से रथयात्रा निकाली जाएगी। भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भैय्या बलदेव और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर अपनी मौसी के घर जाकर विश्राम करेंगे। भगवान के विश्राम स्थल को गुंडिचा मंदिर कहा जाता है।
प्रदेश के मुखिया पूजा करके करेंगे यात्रा का शुभारंभ
गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर के संस्थापक पुरंदर मिश्रा ने बताया कि रथयात्रा के लिए राज्यपाल और मुख्यमंत्री को आमंत्रित किया गया है। प्रदेश के मुखिया रथ के आगे सोने से निर्मित झाड़ू से बुहारने की रस्म निभाकर रथयात्रा को रवाना करेंगे। भगवान 10 दिनों मौसी के घर विश्राम करके 29 जून को देवशयनी एकादशी पर वापस मूल मंदिर में लौटेंगे। रथयात्रा की वापसी को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है।