वॉशिंगटन । अगस्त के अंत में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी के दावेदार विवेक रामास्वामी की वेबसाइट पर अपडेट आया- नम्रता रंधावा, झूठ बोलते रहो। उसमें दक्षिण केरोलिना की गवर्नर निकी हेली के मूल नाम की स्पेलिंग गलत दी गई थी।
चूंकि दोनों भारतवंशियों के अमेरिका में जन्मे बच्चे हैं, लिहाजा हेली को अविश्वसनीय दिखाने के लिए रामास्वामी की इस कोशिश को अच्छा नहीं माना गया है। रिपब्लिकन रणनीतिकार रीना शाह कहती हैं, यह बेहद असम्मानजनक और निम्न स्तरीय है। निकी हेली भी रिपब्लिकन दावेदार हैं। यह अमेरिका की राजनीति में भारतीय मूल के लोगों के बीच बढ़ती होड़ की झलक दिखाता है।
अमेरिका की कुल आबादी में भारतीय अमेरिकी 1.5 प्रतिशत हैं। 2024 के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की होड़ में दो भारतीयों की मौजूदगी ने लोगों के बीच भारतीयों के प्रति कौतूहल जगाया है। अभी हाल में निकी हेली के लिए समर्थन बढ़ा है। उनके और रामास्वामी के बीच अगले सप्ताह बहस होगी। चुनावी होड़ के दूसरे मोर्चे पर डेमोक्रेट उपराष्ट्रपति कमला हैरिस हैं। वे भारतीय मां और जमैकाई पिता की संतान हैं। कुछ विश्लेषक मानते हैं, न ही हैरिस, हेली और न ही रामास्वामी दक्षिण एशियाइयों और यहां तक कि भारतीय अमेरिकियों के बीच वोटिंग के लिए वैसा उत्साह पैदा कर पाएंगे जैसा कि बराक ओबामा ने अश्वेत वोटरों के बीच किया था। फिर भी, राष्ट्रीय राजनीति के मंच पर उनकी मौजूदगी से उनके समुदायों में कुछ तो हलचल होगी।
एशियाई अमेरिकियों में भारतीयों की संख्या सबसे अधिक है। अन्य एशियाई समूहों के समान वे डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन करते हैं। 2022 के एशियन अमेरिकन वोटर सर्वे के अनुसार 56 प्रतिशत खुद को डेमोक्रेट समर्थक मानते हैं। 27 प्रतिशत स्वतंत्र और केवल 15 प्रतिशत रिपब्लिकन बताते हैं। एशियन पेसिफिक आइलैंडर अमेरिकन वोट के डायरेक्टर क्रिस्टीन चेन का कहना है- रिसर्च बताती हैं कि जब कोई हमारे समुदाय का व्यक्ति चुनाव लड़ता है तो चुनाव प्रक्रिया में समुदाय की हिस्सेदारी बढ़ती है। कई भारतीय अमेरिकी वोटर रामास्वामी, हेली और हैरिस के उदय को भारतवंशियों की सफलता के साथ जोडक़र देखेंगे लेकिन उनकी धार्मिक पृष्ठभूमि का ज्यादा महत्व नहीं होगा।
अधिक भारतीय अमेरिकी हिंदू हैं। जबकि ईसाइयों और मुस्लिमों की संख्या कम है। रामास्वामी हिंदू हैं लेकिन उनका फोकस ईसाई वोटरों पर है। मूलत: सिख निकी हेली राजनीति में आने से कई साल पहले क्रिश्चियन हो गई थीं। हैरिस की मां हिंदू और पिता ईसाई हैं। वे मंदिर और चर्च जाते हुए बड़ी हुई हैं। अब वे क्रिश्चियन हैं। धर्म पर तीनों राजनेताओं के उदार विचार कई भारतीय अमेरिकियों को प्रभावित कर सकते हैं। संजय मिश्र का कहना है, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने अश्वेतों के बीच पहचान बनाई है। व्हाइट हाउस में उनकी भूमिका कई भारतीय अमेरिकियों में उम्मीद पैदा करेगी कि उनके और बच्चों के लिए अवसर और दायरा बढ़ा है। हैरिस के कारण भारतीय अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी को अधिक चंदा देंगे।
इमीग्रेशन कानून 1965 के बाद अमेरिका में भारतीयों की संख्या बढ़ी है। पहले भारतवंशियों का फोकस नया घर बनाने और जीवन की स्थिरता पर था। शिक्षा और धन कमाने के साथ वे विभिन्न पेशों से जुड़े। ऐसे लोगों ने अपने बच्चों को राजनीति में हिस्सा लेने के लिए जरूरी संसाधन मुहैया कराए। अब इनमें से कुछ राजनेता बन गए हैं। एडिसन, न्यूजर्सी के मेयर सैम जर्सी कहते हैं, राष्ट्रीय फलक पर उनकी उपस्थिति बताती है कि परिवार अपनी भूमिका के बारे में क्या सोचते हैं। दोनों रिपब्लिकन उम्मीदवार अपनी पारिवारिक विरासत का लगातार जिक्र करते हैं।