नई दिल्ली । रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वसुधैव कुटुंबकम (दुनिया एक परिवार है) और जी-20 का आदर्श वाक्य एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की प्राचीन भारतीय संस्‍कृति के अनुरूप समृद्धि, सुरक्षा और समावेशिता से चिह्नित भविष्य सुनिश्चित करने के लिए, अपनी पूरी क्षमता का दोहन कर, भारत-प्रशांत क्षेत्र की जटिलताओं से निपटने के लिए सामूहिक ज्ञान और ठोस प्रयासों का आह्वान किया है। 
रक्षा मंत्री 26 सितम्बर, को नई दिल्ली में 13वें हिन्‍द-प्रशांत सेना प्रमुखों के सम्‍मेलन (आईपीएसीसी) में उद्घाटन भाषण दे रहे थे। इस मौके पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, सेनाध्‍यक्ष जनरल मनोज पांडे और 35 देशों की सेनाओं के प्रमुख और प्रतिनिधि मौजूद थे। राजनाथ सिंह ने कहा है कि हिन्‍द-प्रशांत अब केवल समुद्र निर्माण नहीं है, बल्कि एक पूर्ण भू-रणनीतिक रचना है और यह क्षेत्र सीमा विवादों और समुद्री डकैती सहित सुरक्षा चुनौतियों जैसी जटिलताओं का सामना कर रहा है। उन्होंने अमेरिकी लेखक और वक्ता स्टीफ़न आर. कोवे के एक सैद्धांतिक मॉडल के माध्यम से अपना दृष्टिकोण समझाया, जो दो सर्कलों- सर्कल ऑफ़ कंसर्न और सर्कल ऑफ़ इन्फ्लुएंस  पर आधारित है।
सर्कल ऑफ़ कंसर्न उन सभी चीजों को शामिल करता है जिनकी व्यक्ति परवाह करता है, जिनमें ऐसी चीजें भी शामिल हैं, जिन्हें नियंत्रित किया जा सकता है और वे चीजें जिन्हें नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। इसमें वैश्विक घटनाओं, आर्थिक स्थितियों, अन्य लोगों की राय, मौसम और जीवन के कई अन्य पहलुओं जैसे बाहरी कारकों और मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। सर्कल ऑफ़ इन्फ्लुएंस में वे चीजें शामिल हैं जिन पर किसी का सीधा नियंत्रण होता है या कुछ हद तक प्रभाव डाला जा सकता है। इसमें आपके दृष्टिकोण, व्यवहार, निर्णय, रिश्ते और कार्य शामिल हो सकते हैं।