लखनऊ। भाजपा ने दावा किया है कि उसे 370 और एनडीए को 400 सीटें मिलेंगी। इसके लिए पार्टी ऐडीचोटी का जोर लगा रही है। भाजपा अपनी रणनीति के तहत कई दिग्गजों को उन्ही के घर में घेरने की कोशिश कर रही है। पूर्व के चुनावों में भाजपा की कोशिश गैर यादव मतदाताओं को लामबंद करने की रही। इस बार, वह यादव मतदाताओं में भी सेंध को ताकत लगा रही है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को चुनाव प्रचार में उतारकर वह इसका संकेत दे चुकी है। साथ ही, यादव समाज के नेताओं को पाले में लाने की कसरत हो रही है। मैनपुरी सीट पर तो बसपा ने भी यादव चेहरा उतार सेंधमारी का इरादा साफ कर दिया है। विरोधियों की इस रणनीति से सपा भी बेखबर नहीं। वह अपने वोट बैंक को सहेजने में जुट गई है। 
मैनपुरी लोकसभा सीट पर बीते 28 सालों से समाजवादी पार्टी का कब्जा है। आठ बार मुलायम व परिवार के सदस्य ही सांसद बने। मुलायम सिंह के निधन के बाद 2022 में हुए उपचुनाव में डिंपल यादव ने बड़ी जीत हासिल की थी। इस वर्चस्व की बड़ी वजह यादव मतदाताओं की बहुलता को माना जाता है। वर्तमान में 17.87 लाख मतदाताओं वाले इस लोकसभा क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या चार लाख बताई जाती है। दूसरे नंबर पर शाक्य मतदाता हैं जो ढाई लाख के आसपास हैं।
समाजवादी पार्टी को यादव के साथ अन्य जातियों का वोट भी मिलता रहा है। पूर्व के चुनावों में सपा के विपक्षी दलों ने अन्य जातियों को गोलबंद करने की रणनीति पर काम किया। यादव मतदाताओं में सेंधमारी पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। इस बार भाजपा ने इस कोशिश को ही सबसे आगे रखा है।
भाजपा प्रत्याशी स्थानीय विधायक पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह के नामांकन में मध्यप्रदेश के मोहन यादव को इसी रणनीति के तहत बुलाया गया था। अब मतदान से पहले तक मोहन यादव के कई दौरे कराने की रूपरेखा बन रही है। साथ ही, सपा से असंतुष्ट यादव नेता व प्रधानों से संपर्क साधा जा रहा है।नामांकन से एक दिन पहले ही भाजपा ने मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरु रहे चौ. नत्थू सिंह के पौत्र धीरज यादव को पार्टी में शामिल कर सुर्खियां बटोरी थीं। अब, करहल और जसवंत नगर से यादव समाज के चेहरों को पार्टी में शामिल कराने की कोशिश हो रही है।एटा लोकसभा क्षेत्र में भी भाजपा इस दांव को आजमा रही है। क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या 2.75 लाख है। इस बार बड़ी पार्टियों से कोई भी यादव प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं हैं। भाजपा से कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। पिछले चुनावों में यादव सजातियों का समर्थन करते रहे हैं। सपा इस बार टिकट वितरण में इस सीट पर यादव मोह से बाहर निकल आई और देवेश शाक्य को टिकट दिया है। ऐसे में भाजपा अपनी चुनौती को ज्यादा कठिन मान रही है। पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार यादव समीकरणों में बदलाव लाने के लिए भाजपा ने सपा के कई यादव नेताओं को पार्टी में शामिल किया है। दो बार सपा से सांसद रहे कद्दावर नेता कुंवर देवेंद्र सिंह यादव भी भाजपा में आए हैं। इसके अलावा बसपा छोड़कर पूर्व विधायक अजय यादव ने भी भाजपा का दामन थामा है। कुछ ब्लाक प्रमुख एवं पूर्व ब्लाक प्रमुख भी पार्टी में पहुंचे हैं। भाजपा ने यादव कुनबे में सेंध लगाकर यादव मतदाताओं को सोचने के लिए विवश कर दिया है कि भाजपा यादवों के लिए अछूत नहीं है। भाजपा की सेंधमारी से यादव मतदाताओं में हलचल है और अपना नफा-नुकसान तौल रहे हैं।