नई दिल्ली । चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अगले माह उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन से इतर अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक कर सकते हैं। उम्मीद है कि इस आयोजन से भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों की शुरुआत हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों देशों के बीच जारी मतभेदों को किनारे रखकर द्विपक्षीय हितों पर बातचीत कर सकते हैं।
भारत और चीन दोनों ने अभी तक आधिकारिक तौर पर 15-16 सितंबर के दौरान समरकंद में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के लिए अपने नेताओं की व्यक्तिगत भागीदारी की पुष्टि नहीं की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विपरीत, जिन्होंने इस साल कई बहुपक्षीय और द्विपक्षीय बैठकों के लिए विदेश यात्राएं की हैं, शी जिनपिंग ने जनवरी 2020 के बाद से चीन से बाहर कदम नहीं रखा है। हालांकि, शुक्रवार को वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, शी क्षेत्रीय सुरक्षा ब्लॉक की बैठक के लिए समरकंद की यात्रा कर सकते हैं और ताइवान को लेकर अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर सकते हैं।
शिखर सम्मेलन के आयोजन में शामिल लोगों के हवाले से रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शी जिनपिंग की भारत और पाकिस्तान के नेताओं के साथ भी ऐसी ही बैठकें हो सकती हैं। हालांकि, इसमें कहा गया है कि उनकी यात्रा योजनाओं को लेकर अब भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है और वह वर्चुअली भी भाग लेना चुन सकते हैं। राजनयिक सूत्रों के अनुसार, पुतिन समरकंद में एक व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन के इच्छुक हैं, जो अन्य बातों के अलावा, अफगानिस्तान में सुरक्षा और मानवाधिकार की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करेगा। शिखर सम्मेलन के लिए पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ के भी उज्बेकिस्तान जाने की उम्मीद है।
यदि सभी नेता व्यक्तिगत रूप से शिखर सम्मेलन में भाग लेते हैं, तो लगभग तय है कि पीएम मोदी पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे और संभवतः शी के साथ भी। जबकि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है, दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि मई 2020 में शुरू हुए सैन्य गतिरोध को कई बिंदुओं पर सुलझा लिया गया है। इस साल मार्च में चीनी विदेश मंत्री वांग यी और हाल ही में अफगानिस्तान के लिए चीनी विशेष दूत की मेजबानी करने के भारत के फैसले से स्पष्ट था कि सैन्य और राजनयिक वार्ता में प्रगति हुई है। दोनों बैठकों का प्रस्ताव चीनी पक्ष ने रखा था।
पाकिस्तान स्थित और भारत केंद्रित आतंकवादियों पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध को 2 बार अवरुद्ध करने का चीन का निर्णय नई दिल्ली को अच्छा नहीं लगा है। और शी के साथ संभावित शिखर बैठक की तैयारी करते समय भारतीय अधिकारियों के दिमाग में यह बात होगी।