• प्रियंका की सभा से संकेत, कर्नाटक की तरह भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई को मुद्दा बनाएगी कांग्रेस


भोपाल । जबलपुर के बाद ग्वालियर-चंबल अंचल में प्रियंका गांधी की सभा से संकेत मिलते हैं प्रदेश के चुनाव में राहुल गांधी की बजाए प्रियंका गांधी कांग्रेस का राष्ट्रीय चेहरा होंगीं। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के पुत्र नकुल नाथ ने अपने संबोधन में कहा आप तो मध्य प्रदेश को गोद ले लें। सभा से पहले शहरभर में लगे होर्डिंग्स में राहुल गांधी कम नजर आ रहे हैं। प्रियंका गांधी सभा में पूर्ण सादगी के साथ पहुंची और आम महिलाओं की तरह नजर आईं। उनका भाषण के हर शब्द आम जनता से जुड़ा हुआ नजर आ रहा था। वहीं कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की मेला ग्राउंड में सभा से संकेत मिले कि कांग्रेस कर्नाटक की तरह भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई को विधानसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दा बनाएगी। लोगों को बताएगी कि कैसे जनादेश से 2018 के चुनाव में बनी कांग्रेस सरकार को भाजपा ने गिराया। इसके साथ सस्ती बिजली, 500 रुपये में गैस सिलेंडर, किसानों का कर्जा माफ, महिलाओं के खाते में 1500 रुपये भेजने जैसी योजनाओं का प्रलोभन देगी।  
कांग्रेस भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे को कर्नाटक में भुना चुकी है। मध्य प्रदेश के चुनाव में इन्हीं मुद्दों पर पूरी ताकत लगा देगी। यह की जीत कांग्रेस को दिल्ली में मजबूत आधार प्रदान करेगी और विपक्षी गठजोड़ में सम्मानजनक भूमिका दिलाने वाली होगी। ग्वालियर के मेला ग्राउंड की सभा में प्रियंका गांधी वाड्रा के भाषण से प्रदेश में होने वाले चुनाव के लिए स्पष्ट दिशा नजर आ रही थी। प्रियंका गांधी 35 मिनट के भाषण में इसी मुद्दे पर बोलीं। जनता से जुड़े मुद्दों से दाएं-बाएं जाने से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। हालांकि अन्य वक्ता जरूर इधर-उधर की बातों पर ताल ठोकते नजर आए।


दिग्विजय भूमिका भी साफ हुई
यह तो पहले से तय है कि दिग्विजय सिंह का उपयोग कांग्रेस सार्वजनिक मंचों पर नहीं करेगी। हालांकि कांग्रेस के प्रमुख रणनीतिकार दिग्विजय सिंह ही होंगे। प्रियंका गांधी की सभा के सूत्रधार दिग्विजय सिंह नजर आए। मंच पर बैठे भी, लेकिन भाषण नहीं दिया। यानी चुनाव में दिग्विजय पर्दे के पीछे रहेंगें। भाजपा आरोप लगाती रही है मुख्यमंत्री कमल नाथ भले ही थे, किंतु सरकार पर्दे के पीछे से दिग्विजय सिंह चला रहे थे।


क्या गढ़ बचाएगा कांग्रेस का ‘पीजी’ फॉर्मूला
प्रदेश में ग्वालियर-चंबल अंचल को कांग्रेस अपना गढ़ मानती आ रही है। अभी तक अंचल में महल के कारण कांग्रेस का वर्चस्व कायम रहता था। लेकिन 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के साथ ही कांग्रेस पूरी तरह से महल के प्रभाव से मुक्त हो गई है। ऐसे में अपने गढ़ को बचाए रखने के लिए कांग्रेस ने जहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वहीं हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में जिस ‘पीजी’ फॉर्मले के सहारे कांग्रेस ने सत्ता हासिल की है, उसका इस्तेमाल मप्र में भी शुरू कर दिया है। इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या बिना सिंधिया के कांग्रेस ‘पीजी’ फॉर्मूला से अपना गढ़ बचा पाएगी?   गौरतलब है की हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस की कामयाबी के पीछे ‘पीजी’ फॉर्मूला का बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस इसे मप्र में भी दोहराना चाह रही है। ‘पी’ मतलब प्रियंका गांधी और ‘जी’ मतलब गारंटी यानी वादे। जबलपुर के बाद ग्वालियर में भी कांग्रेस के ‘पीजी’ फॉर्मूले का पूरा प्रभाव दिया। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने शुक्रवार को ग्वालियर में एक रैली को संबोधित किया। इस रैली में उन्होंने 6 गारंटी दी। जिसमें पुरानी पेंशन लागू करेंगे, महिलाओं के खाते में हर महीने 1500 रुपए, रसोई गैस सिलेंडर 500 रुपए में मिलेगा, 100 यूनिट बिजली फ्री मिलेगी। 200 यूनिट पर बिल आधा किया जाएगा। किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा और दिव्यांगों की पेंशन बढ़ाई जाएगी। कांग्रेसियां का कहना है कि हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के बाद मप्र में भी ‘पीजी’ फॉर्मूला काम करने लगा है।


ग्वालियर पर पूरा फोकस
 प्रियंका गांधी 40 दिन में दूसरी बार मप्र पहुंचीं और ग्वालियर में कांग्रेस ने अपना पूरा दम दिखाया। यह इस बात का संकेत है कि कांग्रेस ग्वालियर से अपनी जड़ें नहीं छोडऩा चाहती है। सिंधिया राजवंश ने एक समय ग्वालियर की तत्कालीन रियासत पर शासन किया है। यहां पार्टी पर सिंधिया परिवार कांग्रेस के साथ नहीं हैं। ऐसे में संगठन के सामने उसी मजबूती से खड़े रहने की चुनौती है। यही वजह है कि पार्टी 2020 के बाद इस इलाके में खास फोकस कर रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने जब नेता प्रतिपक्ष का पद तो ये जिम्मेदारी संगठन ने छोड़ा, ग्वालियर- चंबल इलाके के दिग्गज और अनुभवी नेता गोविंद सिंह को सौंपी। गोविंद भिंड जिले की लहार सीट से 7 बार से विधायक हैं। इस इलाके को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। कांग्रेस के ग्वालियर-चंबल में फोकस रखने की एक और वजह है। पार्टी को 2018 के विधानसभा चुनाव हों या 2020 का उपचुनाव या फिर नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव। इन सभी फॉर्मेट के चुनाव में कांग्रेस को जबरदस्त जीत मिली है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने ग्वालियर-चंबल के 8 जिलों की कुल 34 सीटों में 26 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी को 7 और बसपा को एक सीट मिली थीं।


सिंधिया का नाम तक नहीं लिया
जब से सिंधिया ने पाला बदला है वे कांग्रेस नेताओं के निशाने पर रहे हैं। लेकिन सिंधिया के गढ़ में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने करीब 30 मिनट के भाषण के दौरान जहां मप्र सरकार पर जमकर हमला बोला, वहीं सिंधिया का नाम तक नहीं लिया। भाषण के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया पर कोई हमला नहीं किया। प्रियंका गांधी ने नकारात्मक राजनीति की बजाय जनता के मुद्दों पर ज्यादा फोकस किया। बता दें कि ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया और प्रियंका के पिता राजीव गांधी करीबी मित्र थे। ज्योतिरादित्य भी जब तक कांग्रेस में थे, प्रियंका के बेहद करीब थे। सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद से सियासत पूरी तरह बदल गई, लेकिन प्रियंका ने इसे रिश्तों पर हावी नहीं होने दिया। अब सवाल यह है कि प्रियंका ने पुराने रिश्तों का मान रखा या भविष्य के संबंधों की नींव रखी।