रायपुर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी) में जल्द ही बीएससी और बीएड जैसे कोर्स भी शुरू किए जाएंगे। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर योजना बनाई गई है। स्कूल से लेकर कालेज तक के कोर्स में इस तरह के बदलाव किए गए हैं, जिनकी बाजार व उद्योगों में मांग है। इसमें छात्र भाषा व रुचि के अनुसार पढ़ाई कर करेंगे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तीसरी वर्षगांठ पर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) रायपुर में आइआइटी के लक्ष्य और उपलब्धियों को लेकर आयोजित कार्यक्रम में आइआइटी भिलाई के निदेशक प्रो. राजीव प्रकाश ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, नई शिक्षा नीति में कौशल विकास को प्राथमिकता दी गई है। इसमें बाजार की मांग व छात्र जैसी शिक्षा चाहते हैं, वह सबकुछ है। स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व मशीन लर्निंग कोर्स लाएंगे।

आइआइएम के प्रभारी निदेशक प्रोफेसर कमल जैन ने कहा कि हम पीएचडी में महिलाओं व दिव्यांगों को दो वर्ष का अतिरिक्त देने की व्यवस्था कर रहे हैं। एनआइटी के डायरेक्टर प्रो. एनवी रमना राव, केंद्रीय विद्यालय संगठन के उपायुक्त विनोद कुमार, क्षेत्रीय कौशल विकास एवं उद्यमशीलता निदेशालय के उपनिदेशक रजनीश कुमार झा ने भी अपनी बातें रखीं।

आइआइटी बांबे में कमजोर छात्रों को बीएससी की डिग्री

आइआइटी बांबे ने बीटेक के लिए कमजोर छात्रों को तीन वर्षीय बीएससी कार्यक्रम में प्रवेश का विकल्प दिया है। आइआइटी बांबे के उप निदेशक प्रोफेसर एस सुदर्शन ने कहा कि अकादमिक रूप से कमजोर छात्रों को संस्थान से निकालने के बजाय उनके लिए सम्मानजनक बीएससी की डिग्री का विकल्प पेश किया गया है। प्रोफेसर सुदर्शन मंगलवार को प्रेस क्लब, मुंबई में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि इन तीन वर्षों के दौरान छात्र एक निश्चित मात्रा में क्रेडिट प्राप्त करने में कामयाब होते हैं तो उन्हें तीन वर्षीय बीएससी की डिग्री प्रदान की जाएगी।