अब मंदिर के लिए संघ नहीं करेगा कोई आंदोलन
नागपुर । देश में काशी ज्ञानवापी बवाल के बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान आया है उन्होंने संघ मुख्यालय नागपुर में कहा कि अब मंदिर के लिए संघ कोई आंदोलन नहीं करेगा। हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों निकल रहे हैं। भागवत ने यह बातें एक कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा कि इतिहास को बदला नहीं जा सकता है। अब किसी मंदिर के लिए संघ आंदोलन नहीं करेगा। हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों निकल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें किसी को जीतना नहीं है, हमें सबको जोड़ना है। हमें किसी को डराना नहीं, डरना भी नहीं है। क्या हम विश्व विजेता बनना चाहते हैं, या नहीं। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि मुस्लिम सभी समान पूर्वज के वशंज हैं। भारत किसी को जीतने के लिए काम नहीं करता।
भागवत ने कहा कि ‘संघ हृदय में भर पाए, अब घर-घर हमको जाना है’, ऐसे प्रसंग पर यह स्वयंसेवक बने हैं। इनके लिए एक ही संदेश है; ‘हिंदुत्व एक अपनत्व भावना, रोम-रोम में भरना है, अहंकार व्यक्तित्व भुलाकर, सबको अपना करना है। उन्होंने कहा कि रुस और यूक्रेन के युद्ध ने हमारे जैसे राष्ट्र के लिए सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियां बढ़ा दी हैं। हमको अपने प्रयासों को और दृढ़ करना पड़ेगा, अधिक शक्तिसम्पन्न होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सब प्रांतो और भाषाओं के मानने वाले लोग अपने हैं। एक ही भारतमाता के सब पुत्र हैं, सबके समान वंशज है, और यहीं स्व आधारित संस्कृति सबको मिली है। धर्म को खान-पान, पूजा-पद्धति, कर्म-कांडो से अलग करो तभी हमारा धर्म बचता है। बंधुभाव बचता है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत को विश्वगुरु बनाना समय की आवश्यकता है। लेकिन उसके लिए भारत में सर्वत्र लोगों को भारत बनकर एक होना पड़ेगा। भारत का स्व किसी की पूजा के आड़े नहीं आता, वह किसी एक भाषा का समर्थन नही करता, सबको अपना मानता है। देश के लिए हर युद्ध में कुछ राष्ट्रीय प्रवृत्ति के मुसलमान हिंदुओ के साथ लड़े हैं, वो सब मुसलमानों के लिए आदर्श हैं। उनका संबंध यहां से है, बाहर से नही है। ज्ञानवापी के बारे में हमारी कुछ श्रद्धा है, हमारी परमपराएं हैं, सब ठीक है। लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? बेशक यह बाहर से आयी है, लेकिन वह भी एक पूजा-पद्धति है, और जिन्होंने अपनायी है, उन सबके पूर्वज भी हमारे ऋषि-मुनि और क्षत्रिय ही हैं।
भागवत ने कहा कि ज्ञानवापी का मुद्दा इतिहास है, उसको हम बदल नही सकते। वह ना तो आज के हिंदू कहलाने वालों ने बनाया है ना आज के मुसलमानों ने। इस्लाम बाहर से आया, आक्रमकों के साथ आया। अपनी स्वतंत्रता का प्रयास करने वालों का मनोबल गिराने के लिए हमारे देवस्थान तोड़े। उन्होंने कहा कि हमें किसी को डराना नही है, लेकिन डरने की नौबत भी नही आनी चाहिए। हम लोग भारत माता की जय करना चाहते हैं और अपनत्व में विश्वास रखते हैं। सामर्थ्य संपन्न संगठित हिंदू समाज विश्व के कल्याण के लिए खड़ा हो, यहीं संघ का कार्य है लेकिन फिर भी ऐसे स्वर उठते हैं। और उनका विरोध कोई करता नही उस तरफ़ से। लेकिन हमारे जैसे लोग बताते रहते हैं कि सब अपने है, लेकिन उस तरफ़ से कुछ प्रश्नचिन्ह रहता है मन में। इसलिए अतिवादी लोगों को टोकना चाहिए। हिंदू तो टोकता है। हमको भी लोग टोकते हैं। जैसे पाकिस्तान बना, ऐसे अलगाव का राग नही अलापना। पूजा अलग है इसलिए हित अलग हैं, ऐसा मानना नही। और सम्पूर्ण हिंदू समाज ने भी यह समझना कि अगर ये वापस आना चाहते हैं तो हम स्वागत करते हैं।
करोना में भी संघ कार्य बैंड नहीं हुआ, केवल स्वरूप बदला। करोना पीड़ितों की सेवा हमारा कार्यक्रम बन गया। करोना काल में हमारा संपर्क घटा नहीं, बल्कि बढ़ा। बाद में श्री रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह करना पड़ा तो 4 करोड़ से अधिक गांवो में हमारे स्वयंसेवक पहुंच गए। जिसके फलस्वरूप इस समय उपस्थित संख्या से दोगुनी वर्ग में आने के लिए तैयार थी। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में भारत माता की जय करवानी है। लेकिन हमें किसी को जीतना नही है। संघ का कार्य किसी को जीतने के लिए नही, जोड़ने के लिए चलता है। भारतवर्ष भी अनादि काल से सबको जोड़ने के लिए जिया है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि सबको जोड़कर चलने वाला तत्व केवल भारत के पास है। बाक़ी दुनिया में केवल थ्योरी है, अनुभव और प्रैक्टिस नहीं है। सब अपने हैं, सबको साथ जोड़कर चलना है, यह शिक्षा पूरे विश्व को भारत ने देनी है। धर्म का संरक्षण दो प्रकार से होता है। जब आक्रमण होता है तो बचाना पड़ता है, उसके लिए बलिदान भी देना पड़ता है, उसके लिए लड़ाई भी करनी पड़ती है। लेकिन धर्म आचरण से बढ़ता है। अलगाव नहीं होना चाहिए, परस्पर सद्भाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्य के अपने पैर नहीं होते। सत्य को शक्ति का आधार चाहिए। बिना शक्ति के दुनिया नहीं मानती। हम किसी को जीतना नही चाहते, लेकिन दुनिया में दुष्ट लोग हैं, जो हमको जीतना चाहते हैं। इसलिए शक्ति की आराधना भी ज़रूरी है।
बता दें कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है, जबकि मुस्लिम पक्ष उसे फव्वारा बता रहा है। मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। पिछले दिनों अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कराया गया। सर्वे की कॉपी दोनों पक्षों को सौंप दी है। वहीं, हिंदू पक्ष ने दावा किया है ज्ञानवापी में शिवलिंग मिला है, जो नंदी से 83 फीट की दूरी पर है। दूसरी तरफ, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वह शिवलिंग नहीं फव्वारा है।