पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाले को लेकर पेश याचिका खारिज
भोपाल । मप्र की राजनीति में गर्माहट पैदा करने वाले पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाले को लेकर मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में प्रस्तुत जनहित याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता पर हाईकोर्ट ने 10 हजार रुपये हर्जाना भी लगाया है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट का महत्वपूर्ण समय खराब किया है। याचिका दायर करने से पहले उन्हें इस संबंध में सरकार के समक्ष अभ्यावेदन देना था, लेकिन ऐसा नहीं करते हुए वे सीधे हाई कोर्ट आ गए। यह हाई कोर्ट नियमों के विरुद्ध है। याचिकाकर्ता ने यह भी नहीं बताया कि जो बातें वे याचिका में कह रहे हैं उनका स्रोत्र क्या है। सरकार पहले ही मामले में हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज से जांच के आदेश दे चुकी है। ऐसे में याचिका का कोई मतलब नहीं रह जाता। शासन की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट विशाल सनोठिया ने कोर्ट के समक्ष तर्क रखे कि आशंका होने के बाद न सिर्फ परीक्षा परिणाम के आधार पर होने वाली नियुक्तियां रोकी गई हैं, बल्कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में कमेटी भी गठित कर दी गई है। याचिकाकर्ता ने सिर्फ समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के आधार पर याचिका दायर की है। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो शुक्रवार को जारी हुआ। याचिकाकर्ता को कोर्ट द्वारा लगाए गए 10 हजार रुपये के जुर्माने की राशि 30 दिन में जमा कराना होगी। हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका रघुनंदनसिंह परमार ने दायर की थी। इसमें कहा था कि कर्मचारी चयन मंडल ने पटवारी संयुक्त भर्ती परीक्षा में आयोजित की थी। इस परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद से ही परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लग रहे थे। विवाद बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री ने इस परीक्षा से होने वाली नियुक्तियों पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी। परीक्षा का परिणाम स्वयं गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहा है। इससे स्पष्ट है कि दस टापर में से सात टापर ने ग्वालियर के एक ही कालेज से परीक्षा दी थी। कालेज भाजपा के भिंड विधायक का है। याचिका में कहा है कि गड़बड़ी की बात सामने आने के बाद परीक्षा से होने वाली भर्तियों पर रोक लगा दी गई है। ऐसे में वे अभ्यर्थी जिन्होंने ईमानदारी से परीक्षा दी थी, वे खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। जिन ईमानदार अभ्यर्थियों का चयन हो गया है उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है, क्योंकि परीक्षा के आधार पर होने वाली नियुक्तियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है।