नई दिल्ली ।कोरोना संकट पर मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के सामने वैट घटाने का प्रस्ताव  रखा था, यह प्रस्ताव खासतौर पर विपक्षी दलों द्वारा शाषित राज्यों के लिए था। सात राज्य सरकारों ने पेट्रोल-डीज़ल पर वैट  घटाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  के प्रस्ताव को ख़ारिज करते हुए केंद्र पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर दोहरी राजनीति करने का आरोप लगाया है।
इस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, 'केंद्र के पास पश्चिम बंगाल का करीब 97,000 करोड़ रूपया बकाया है, जिस दिन केंद्र इसका आधा भी रिलीज़ करेगी, हम पेट्रोल-डीजल पर 3000 करोड़ की सब्सिडी दे देंगे।'
ममता बनर्जी ने साथ ही कहा, 'पीएम नरेंद्र मोदी ने पूरी तरह से एकतरफा और भ्रामक भाषण दिया है। उनके द्वारा साझा किए गए तथ्य गलत थे। हम पिछले तीन वर्षों से प्रति लीटर पेट्रोल और डीजल पर 1 रुपये की सब्सिडी दे रहे हैं। हमने 1,500 करोड़ रुपए इस पर खर्च किए हैं।'
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ट्वीट कर कहा, 'ये कहना गलत है कि महाराष्ट्र में पेट्रोल-डीजल की बढ़ी हुई कीमतें राज्य सरकार द्वारा लगाए गए टैक्स की वजह से बढ़ी हुई हैं।'
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पलटवार करते हुए केंद्र सरकार पर पेट्रोल-डीजल  के कीमतों में दोहरा रवैया अख्तियार करने का आरोप लगाया। भूपेश बघेल ने कहा, 'सवाल ये है कि आप पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ाएं और राज्यों को कम करने को कहें ये बात समझ नहीं आती। केंद्र ने दो साल से 4% सेस लगाया हुआ है। जिसका हिस्सा राज्यों को नहीं मिलता। पीएम ने कहा की एक्साइज ड्यूटी का 42% राज्यों को देते हैं लेकिन आकड़ें बताते हैं कि कभी भी 42% पूरा नहीं दिया गया।'
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने विपक्ष-शासित राज्यों में पेट्रोल-डीजल पर वैट  की ऊँची दरों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि वो आम लोगों को पेट्रोल-डीजल की बढ़ी हुई कीमतों से राहत नहीं देना चाहते। उन्होंने ट्वीट कर रहा, 'भाजपा-शासित राज्यों में पेट्रोल और डीजल पर  वैट 14.50 से 17.50 रूपये प्रति लीटर के रेंज में है, जबकि अन्य दलों द्वारा शासित राज्यों द्वारा लगाए गया कर 26 से 32 रूपये प्रति लीटर की रेंज में है। अंतर स्पष्ट है। उनका (विपक्ष) इरादा केवल विरोध और आलोचना करना है, आम लोगों को राहत नहीं।'
पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ी हुई कीमतों के इस दौर में ये राजनितिक आरोप-प्रत्यारोप ऐसे वक्त पर शुरू हुए, जब कच्चे तेल के इंडियन बास्केट की कीमत बुधवार को फिर 102 डॉलर के पार चली गयी। ज़ाहिर है, पेट्रोल-डीज़ल महंगा होने से देश में महंगाई तेज़ी से बढ़ती जा रही है। लेकिन केंद्र और विपक्ष-शासित राज्यों के बीच राजनितिक बयानबाज़ी की वजह से इस संकट से निपटने के मसले पर आम राय नहीं बन पा रही है।