प्रदेश में बिछने लगी चुनावी बिसात
भोपाल । स्थानीय चुनाव निपटने के बाद अब भाजपा-कांग्रेस दोनों ने विधानसभा चुनाव-2023 के लिए नए सिरे से सियासी बिसात बिछाना शुरू कर दी है। इसके दांव-पेंच और मोहरे तय करने के लिए दोनों पार्टियां अगले हफ्ते महत्त्वपूर्ण बैठक करेंगी।
भाजपा ने जहां 24 अगस्त से 3 दिन का पचमढ़ी में चिंतन रखा है तो कांग्रेस 25 अगस्त को बड़ी बैठक करने जा रही है। दोनों दलों के सूत्रधार किरदार लगभग तय हो गए हैं। अब मैदान के मोहरे तय कर आगे चालें चलना शुरू की जाएंगी।
प्रदेश कांग्रेस ने 25 अगस्त को बैठक रखी है। इसमें विधायक, जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी सहित अन्य नेता मौजूद रहेंगे। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ अभी से चुनाव के हिसाब से तैयारी में जुट गए हैं। टिकट के लिए सर्वे शुरू कराए हैं। जहां निकाय चुनाव में अच्छी जीत मिली है, वहां काम हो रहा है। जहां हार मिली है, वहां कमजोरी तलाशी जा रही है। पार्टी विधानसभा चुनाव में शासन-प्रशासन के दबाव-प्रभाव की काट के रास्ते खोज रही है, क्योंकि पार्टी का मानना है कि उसे स्थानीय चुनाव में इसका सामना करना पड़ा।
कांग्रेस का ग्वालियर-चंबल पर क्षेत्र पर ज्यादा फोकस है, क्योंकि वहां से पिछली बार बढ़त मिली थी। विंध्य क्षेत्र में चपत लगी थी, इसलिए वहां भी काम होगा। साथ ही आदिवासी, दलित, ओबीसी और मुस्लिम वोटर पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने समन्वय के साथ काम करने की रणनीति पर कदम बढ़ाए हैं। क्षेत्रीय क्षत्रपों को उनके क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी है। अब हर सीट से फीडबैक लिया जाएगा। प्रदेश कांग्रेस में सूत्र कमलनाथ के हाथ रहना है। वे खुद चुनाव की अगुवाई करेंगे। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह दूसरे नंबर पर पर्दे के पीछे समन्वय और असंतोष थामने पर काम करेंगे। ग्वालियर-चंबल में पैठ बढ़ाने के लिए नेता प्रतिपक्ष डॉ.गोविंद सिंह अहम रहेंगे। क्षत्रप भी जिम्मा संभालेंगे।
स्थानीय चुनाव नतीजों के बाद भाजपा और सरकार दोनों विधानसभा चुनाव को लेकर गंभीर है। 2018 में भाजपा हारी थी, इसलिए उसी हिसाब से तैयारी हो रही है। स्थानीय चुनाव के नतीजों में जहां कमी रही, उन पर पांच दिन के भीतर रिपोर्ट बनेगी। तीन सबक इन चुनाव परिणामों से पार्टी के सामने हैं। पहला टिकट देने में सटीक फैसले करने होंगे। दूसरा असंतोष और बागियों को संभालना जरूरी है। तीसरा, जातिगत सहित सभी समीकरणों के अलावा बूथ सशक्तीकरण जरूरी है। पचमढ़ी चिंतन के बाद इसी पर काम होगा। पार्टी का लक्ष्य वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी है। इसके तहत 51 प्रतिशत वोट भाजपा को चाहिए। अभी निकाय चुनाव में 53 प्रतिशत वोट प्रतिशत मिला है। कमजोर बूथों को मजबूत बूथ में बदलना है। टिकट फॉर्मूले पर काम करना है, लेकिन यह चुनाव के समय ही होगा। विधानसभा स्तर पर 25 व लोक सभा पर 100 बूथ सशक्तीकरण का लक्ष्य है। विधानसभा स्तर पर हर बूथ पर 10 व लोकसभा के स्तर पर 30 कार्यकर्ता जोड़े जाएंगे। आगे की रणनीति पचमढ़ी मंथन के बाद तय होगी। विधानसभा चुनाव 2023 के लिए भाजपा में फिलहाल की स्थिति में सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और मंत्री भूपेंद्र सिंह अहम किरदार रहेंगे। मौजूदा स्थिति में इनके हिसाब से चुनाव की रणनीति तय की जा रही है।