दुर्ग जिले में बच्चा चोरी की अफवाह पर मारपीट की तीसरी घटना समाने आई है। इस बार यह घटना दुर्ग जिला मुख्यालय में हुई है। दुर्ग टीआई एसएन सिंह ने बताया कि दिल्ली से पति-पत्नी आकर पिछले 4 साल से गंजपारा में किराए का मकान लेकर रह रहे थे। वो लोग घूम घूमकर कपड़ा और दरी बेचने (फेरी करना) का काम करते थे। दिवाली का त्यौहार नजदीक होने से पीड़ित ने अपने साले को कुछ दिन पहले ही बुलाया था। 9 अक्टूबर की देर रात किसी ने अफवाह फैला दी कि ये लोग बच्चा चोर हैं, और इसीलिए यहां आए हैं।

पीड़ित और उसका साला खाना खाकर मोहल्ले में टहल रहे थे। अचानक कुछ लोग वहां पहुंचे, और बच्चा चोर, बच्चा चोर कहकर उन्हें मारने लगे। देखते ही देखते वहां सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंच गए। लोगों ने उन्हें लात, घूंसे और लाठी से बुरी तरह मारा। जब फेरीवालों को लगा कि लोग उन्हें जान से मार देंगे तो वह वहां से भागकर अपने आपको कमरे में बंद कर लिया।

जैसे ही कोतवाली पुलिस को मामले की सूचना मिली वो तुरंत मौके पर पहुंची। पुलिस ने सुरक्षित पीड़ित को वहां से बाहर निकाला। लोग इतने गुस्से में थे कि पुलिस की कस्टडी में होने के बाद भी पीड़ित को मारने दौड़ रहे थे। बड़ी मुश्किल से पुलिस ने पीड़ित को वहां से बाहर निकाला और थाने ले गई। इसके बाद उसे इलाज के लिए जिला अस्पताल भेजा गया। पीड़ितों में कपूर सिंह (65 वर्ष) संजय नगर कोरबा निवासी, विकास सिंह (30 वर्ष) पंजाबी कॉलोनी, नरेला दिल्ली। मदन सिंह (32 वर्ष) संजय नगर कोरबा । रविंदर सिंह (35 वर्ष) पंजाबी कॉलोनी, नरेला, दिल्ली निवासी। अरुण सिंह (28 वर्ष) पंजाबी कॉलोनी दिल्ली के रहने वाले हैं।

दुर्ग एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव बार-बार जिले के लोगों से अपील कर रहे हैं कि बच्चा चोरी का अफवाह में न जाएं। यदि कोई संदेही दिखे तो उससे मारपीट करके कानून को अपने हाथ में न लें। ऐसा व्यक्ति दिखने पर तुरंत पुलिस को सूचना दें। पुलिस खुद मामले की जांच करेगी और यदि संदेही गलत पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। दुर्ग पुलिस का कहना है कि अपील के बाद भी लोग समझ नहीं रहे हैं। लोग मारपीट करके कानून को अपने हाथ में ले रहे हैं। मजबूरी में पुलिस को ऐसे लोगों के ऊपर कानूनी कार्रवाई करनी पड़ रही है।