मदुरै में चेन्नई स्पेशल ट्रेन के कोच में आग नहीं लगती अगर भसीन ट्रैवेल एजेंट अपनी जिम्मेदारी सही से निभाता। आरपीएफ, रेलवे प्रशासन इन सबने अगर अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभाई होती तो भी ये नौबत नहीं आती। वे लोग भी कम जिम्मेदार नहीं, जो ट्रेन में रसोई गैस सिलेंडर लेकर गए। हर ट्रेन के हर कोच में जगह-जगह ज्वलनशील पदार्थों को लेकर नहीं चलने की चेतावनी लिखी होती है। जो कोच में सवार थे उन्होंने भी ये चेतावनी न जाने कितनी बार पढ़ी होगी।

इनकी लापरवाही यात्रियों की जिंदगी पर पड़ी भारी

1 : भसीन ट्रैवेल एजेंट

इसी एजेंट ने टूरिस्ट कोच की बुकिंग आईआरसीटीसी से की। बुकिंग के दौरान एजेंट ने शपथपत्र भी दिया था। ऐसे में एजेंट को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि बोगी में किसी प्रकार का ज्वलनशील पदार्थ न जाने पाए।

2: आरपीएफ

लखनऊ जंक्शन पर तैनात आरपीएफ की जिम्मेदारी थी कि वह बोगी की जांचकर देखती कि यात्री कोई ज्वलनशील पदार्थ लेकर तो नहीं जा रहे हैं। ले जाने की स्थिति में आरपीएफ एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए था।

3. यात्री

ज्वलनशील पदार्थ लेकर ट्रेन में न चलें, इसे लेकर रेलवे प्रशासन अभियान चलाता है। ट्रेनों के हर कोच में इसके लिए जागरूकता संदेश लिखा होता है। बावजूद इसके अनदेखी करना आपराधिक गलती है।

4. रेलवे प्रशासन

जिस कोच में आग लगी वह कई ट्रेनों में जुड़ा। यह ट्रेन दक्षिण रेलवे से लेकर उत्तर रेलवे, दक्षिण मध्य रेलवे, दक्षिण पश्चिम रेलवे के जोन से होते हुए गुजरी। ऐसे में इन जोन के स्टेशनों पर भी जांच क्यों नहीं हुई?

ज्वलनशील पदार्थ न ले जाएं, एजेंट को देखना चाहिए था

मदुरै में हुआ हादसा दुर्भाग्यपूर्ण है। इस हादसे के लिए जिम्मेदार पर कार्रवाई कमिश्नर रेलवे सेफ्टी की ओर से बिठाई गई जांच के बाद ही हो सकेगी। एजेंट ने टूरिस्ट कोच बुक कराया, उसने शपथपत्र दिया, उसे सुनिश्चित करना चाहिए था कि कोई ज्वलनशील पदार्थ न ले जाया जाए।

हादसे के बाद जागे...जांच की रस्मअदायगी भी हो गई

चेन्नई स्पेशल ट्रेन के टूरिस्ट कोच में सिलेंडर से आग लगने की घटना के बाद रेल प्रशासन ने शनिवार को लखनऊ जंक्शन पर यात्रियों के सामान की जांच कराई। इस दौरान किसी के पास गैस सिलेंडर या अन्य ज्वलनशील पदार्थ नहीं मिला। हालांकि कई जगह यात्री बिना जांच ही सामान ले जाते दिखे। कोच के अंदर भी जांच के नाम पर रस्म अदायगी की गई।