नई दिल्ली । देश में 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव होने हैं। दिल्ली की गद्दी पर अपनी दावेदारी पुख्ता करने के लिए सभी राजनीतिक दल जमकर पसीना बहा रहे हैं। चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र स्थित सत्ता का प्रतीक लाल किला की प्राचीर से देश के प्रधानमंत्री प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण करते हैं। यहां से उनका संबोधन देश की दिशा तय करता है। यह संसदीय क्षेत्र भी देश का राजनीतिक भविष्य तय करता है। आम तौर पर यहां के मतदाता जिस पर अपना विश्वास जताते हैं, वही राजनीतिक पार्टी देश पर शासन करती है। चुनावी इतिहास में सिर्फ दो बार (1967 और 1991) ही इस सीट से जीत प्राप्त करने वाली पार्टी की केंद्र में सरकार नहीं बनी है। दिल्ली से अब तक सिर्फ एक मुस्लिम नेता सिकंदर बख्त लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं। जनता पार्टी ने वर्ष 1977 में उन्हें चांदनी चौक से मैदान में उतारा था और वह यहां से विजयी रहे थे। इस लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होती रही है। इस सीट से अब तक नौ बार कांग्रेस और सात बार जनसंघ, जनता पार्टी एवं भाजपा के प्रत्याशियों को जीत मिली है। पिछले दो चुनावों में भाजपा नेता डॉ. हर्षवर्धन को यहां के मतदाताओं ने जिताकर संसद पहुंचाया है। इसके साथ ही मिश्रित जनसंख्या के कारण चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र के चुनावी समीकरण दिल्ली के अन्य लोकसभा क्षेत्रों से अलग हैं। यहां मुस्लिम और वैश्य मतदाता बड़ी संख्या में हैं। इस क्षेत्र में बड़े व्यापारिक केंद्र भी हैं। व्यापारी वर्ग के मतों पर यहां जोर रहा है। इस लोकसभा सीट से संसद पहुंचने वाले को सरकार में जगह मिलती है। साल 1998 और 1999 में यहां से जीतने वाले विजय गोयल अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री बने थे। उसके बाद कपिल सिब्बल भी डॉ। मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्र में मंत्री रहे। साल 2014 और 2019 में यहां से जीते डॉ। हर्षवर्धन को भी मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया। हालांकि, साल 2021 में हुए फेरबदल में उनका मंत्री पद चला गया।