उज्जैन ।   भाजपा ने उज्जैन दक्षिण से विधायक मोहन यादव को मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री चुना है। लेकिन वह उज्जैन में रात नहीं गुजार पाएंगे। दरअसल, इसके पीछे एक प्राचीन मान्यता को माना जा रहा है। उज्जैन को महाकाल की नगरी माना जाता है। उज्जैन को लेकर मान्यता यह है कि इस शहर के मालिक महाकाल हैं। इसी वजह से कोई सीएम या वीवीआईपी उज्जैन में रात को नहीं रुकता है। लोग कहते हैं कि जब भी कोई सीएम या राजा उज्जैन में रात्रि विश्राम करता है तो उसके साथ किसी अनहोनी की आशंका रहती है।

क्या मोहन यादव उज्जैन में गुजार पाएंगे रात?

ऐसे में सवाल यह कि क्या नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जो उज्जैन के रहने वाले हैं और दक्षिण उज्जैन से विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए हैं, क्या वह अपने घर पर रात्रि विश्राम कर पाएंगे? इस सवाल पर महाकाल मंदिर के मुख्य पुजारी कहते हैं कि सीएम मोहन यादव बेटा बनकर शहर में रह सकते हैं, सीएम बनकर नहीं। महेश पुजारी कहते है की सिंधिया राजघराने के लोग भी शहर से 15 किलोमीटर दूर निवास करते थे।  

दूसरा राजा उज्जैन में नहीं गुजार सकता है रात

महाकाल मंदिर के मुख्य पुजारी ने कहा कि महाकाल की नगरी उज्जैन में महाकाल को ही राजा माना जाता है। उज्जैन में परंपरा रही है कि यदि कोई दूसरा राजा यहां रात नहीं गुजर सकता है। ऐसा करने वाले के साथ किसी अनहोनी की आशंका रहती है। इस मान्यता का पालन आज तक किया जाता है। उज्जैन में महाकाल को ही गॉड ऑफ ऑनर दिया जाता है।

जो भी शासक बना वह एक रात का..

ऐसी भी कहानी है कि प्राचीन समय से मान्यता है कि उज्जैन में जो भी शासक बना वह एक रात का राजा होता था अगले दिन उसकी मृत्यु हो जाती थी। इस मान्यता की काट के लिए राजा विक्रमादित्य ने एक परंपरा शुरू की थी कि उज्जैन में जो भी राजा होगा वह महाकाल के अधीनस्थ काम करेगा। वह महाकाल का प्रतिनिधि मात्र होगा।

पीएम, सीएम, राष्ट्रपति तक नहीं रुकते

महाकाल की नगरी में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री नहीं रुकते हैं। यह भी कहा जाता है कि जिसने भी उज्जैन में रात को विश्राम किया उसकी कुर्सी चली गई।

चली गई थी इन नेताओं की कुर्सी

लोग बताते हैं कि देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई महाकाल दर्शन के लिए आये थे। उन्होंने एक रात उज्जैन में विश्राम किया था। इसके अगले दिन ही सरकार गिर गई थी। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा भी उज्जैन में ठहरे थे। उनको 20 दिन बाद ही पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इंदिरा गांधी भी महाकाल का दर्शन करने आई थीं। वह बाहर से ही दर्शन कर के चली गई थीं। खुद पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान समेत अन्य मंत्री कभी रात उज्जैन में नहीं रुके हैं।