नई दिल्ली । महिलाओं की सुरक्षा के लिए डीटीसी व कलस्टर बसों के अलावा टैक्सी व ऑटो में पैनिक बटन व जीपीएस सिस्टम लगाए जाने के बहाने 100 करोड़ से अधिक का घोटाला किए जाने के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने अब तक मुकदमा दर्ज नहीं किया है। आठ माह में एसीबी विजिलेंस सचिव को पांच से ज्यादा बार पत्र लिखकर मुकदमा दर्ज करने के लिए अनुमति मांग चुकी है, लेकिन अबतक अनुमति नहीं मिल पाने से इस बड़े घोटाले की जांच एसीबी नहीं कर पा रही है। एसीपी जरनैल सिंह का कहना है कि प्रारंभिक जांच में घोटाले की पुष्टि होने पर विजिलेंस सचिव सुधीर कुमार को पत्र लिखकर मुकदमा दर्ज करने के लिए अनुमति देने की मांग की गई थी। नियम कहता है कि विजिलेंस सचिव से उक्त पत्र को ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के पास भेज दिया जाता है। दो माह के अंदर जवाब देना होता है। परिवहन विभाग को अगर उक्त मामले में कानूनी सलाह लेना होता है तब एक माह का अतिरिक्त समय दिया जाता है। यानी तीन माह के अंदर जवाब देने का प्रविधान है, लेकिन अब तक परिवहन आयुक्त से विजिलेंस सचिव को अनुमति नहीं मिली है, जिसे विजिलेंस सचिव उक्त पत्र को एसीबी को सौंप सके। संयुक्त आयुक्त एसीबी मधुर वर्मा का कहना है कि बीते जून में पैनिक बटन के मामले में खामियां सामने आने पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने टैक्सियों, ऑटो, डीटीसी और क्लस्टर बसों में लगे पैनिक बटन का ऑडिट करने के निर्देश दिए थे। ऑडिट में भारी अनियमितता पाई गई थी। 112 (पुलिस के कमांड और कंट्रोल रूम) नंबर से पैनिक बटन कंट्रोल रूम की कोई कनेक्टिविटी ही नहीं पाई गई थी जिस कारण तीन साल में एक बार भी कॉल पुलिस कंट्रोल रूम को नहीं आई जबकि कई बसों में महिलाओं को दिक्कत आई होगी और उन्होंने आपात स्थिति में पैनिक बटन दबाया भी होगा।