नई दिल्ली । दिल्ली नगर निगम के तहत आने वाले संपत्ति स्वामियों के लिए जरूरी खबर। एमसीडी उन लोगों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने जा रही है, जिन्होंने लंबे समय से अपने सम्पत्ति कर का भुगतान नहीं किया है। ऐसे में अगर आपने अपनी संपत्ति कर का भुगतान नहीं किया तो आपको जेल तक जाना पड़ सकता है। जी हां, एमसीडी अब अपने कर बकायेदारों से वसूली के लिए सख्त कार्रवाई करने जा रही है, जिसके तहत संपत्ति कर का भुगतान न करने वालों के खिलाफ निगम कानूनी कार्रवाई करने के साथ जेल तक भेज सकती है। एमसीडी, नागरिकों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए लगातार जनहित से जुड़े कार्यों को करती रहती है। इसके लिए निगम को फंड की जरूरत होती है। निगम के आय का सबसे बड़ा स्रोत सम्पत्ति कर होता है, जिसकी सहायता से निगम अपने कई नागरिक कार्यों को अंजाम देती है, लेकिन दिल्ली नगर निगम के तहत आने वाले कई ऐसे संपत्ति स्वामी हैं, जिन्होंने लंबे समय से अपने कर का भुगतान नहीं किया है। निगम द्वारा लगातार नोटिस जारी करने और अपील किए जाने के बाद भी कई संपत्ति स्वामी हाउस टैक्स को जमा करने में कोताही बरत रहे हैं, जिसे देखते हुए निगम अब वैसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का मन बना चुकी है। इसके लिए दिल्ली नगर निगम के कर निर्धारण एवं समाहरण विभाग ने दिल्ली के सभी संपत्ति करदाताओं के संपत्ति कर देयता से संबंधित डाटा का विश्लेषण कर उन सभी संपत्ति करदाताओं की पहचान कर ली है, जिनकी संपति कर की बकाया राशि 25 लाख रुपए से अधिक है। निगम एक्ट के अनुसार सही संपत्ति कर भरने की जिम्मेदारी भूस्वामी की है। दिल्ली नगर निगम इन सभी संपत्ति कर बकायेदारों के विरुद्ध जल्द ही कानूनी कार्रवाई करते हुए अभियोजन दायर करेगा। निगम एक्ट के अनुसार 25 लाख से अधिक राशि के बकाया संपति कर का भुगतान न करने की सूरत में 3 माह से 7 साल के सश्रम कारावास एवं बकाया संपत्ति कर के 50 प्रतिशत तक जुर्माने का प्रावधान है। दिल्ली नगर निगम के संपत्ति कर विभाग ने संपत्ति कर से संबंधित डाटा निगम की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। अपलोड डाटा में संपत्ति करदाताओं की निजी जानकारी नहीं दी गई है। निगम की वेबसाइट पर अपलोड डाटा में अधिकृत लोनी,अनधिकृत-नियमित कॉलोनी, ग्रामीण गांवों में 100 वर्ग मीटर से अधिक वाली रिहायशी संपत्तियों एवं अधिकृत कॉलोनियों की संपत्ति कर का डाटा उपलब्ध है। निगम के कर निर्धारण एवं समाहरण विभाग ने अपील की है कि अगर किसी संपत्ति की एक से अधिक यूपीआइसी आईडी हैं तो संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से इस त्रुटि का निवारण करवा लें।