नई दिल्ली । चुनाव की बात आते ही चुनावी बॉन्ड की चर्चा शुरू हो जाती है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर से चुनावी बॉन्ड की ऑडिट रिपोर्ट सामने आ गई है। भारतीय जनता पार्टी ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा किया है कि पिछले वित्त वर्ष में चुनावी बॉन्ड से उसे 1294.14 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। यह चुनावी बॉन्ड से मिला अब तक का सबसे ज्यादा भुगतान है। यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को मिले चंदे से सात गुना अधिक है। चुनाव आयोग को सौंपी गई ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा की कुल आय 1917.12 करोड़ रुपए रही वहीं कांग्रेेस की आय सिर्फ 452.37 करोड़ रुपए रही।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स के मुताबिक मार्च 2018 से जुलाई 2023 के बीच चुनावी बॉन्ड से 13,000 करोड़ रुपए का दान राजनीतिक पार्टियों को मिला। एसबीआई ने 9,208 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड बेचे। इनकी 58 प्रतिशत राशि भाजपा को मिली। 18 से 22 के बीच पार्टियों को बॉन्ड से मिलने वाले चंदे में 743 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
केंद्र सरकार ने 2017 के बजट में चुनावी बॉन्ड की घोषणा की और 2018 में इसे लागू किया गया। हर तिमाही एसबीआई 10 दिन के लिए चुनावी बॉन्ड जारी करता है। ऐसा बताया जाता है बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान गुप्त रहती है। इसके माध्यम से अपनी पसंदीदा पार्टी को चंदा दिया जा सकता है।
भाजपा को बॉन्ड से मिली 54 फीसदी आय
भाजपा को हुई कुल आय 2,360 का 54 फीसदी पैसा चुनावी बॉन्ड से आया है। यह पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 25 फीसदी ज्यादा है। पिछले वित्त वर्ष में 1,337 करोड़ रुपए की आय हुई थी। व्यक्ति, कंपनी और चुनावी ट्रस्ट से 648 करोड़ रुपए का दान भाजपा को मिला पिछले यह साल 721.7 करोड़ रुपए था। बैंक में जमा धनराशि पर 237.3 करोड़ रुपए ब्याज भी भाजपा को मिला है।
कांग्रेस की आय में कमी
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की आय में गिरावट जारी है। पिछले वित्त वर्ष में मात्र 452 करोड़ रुपए की आय हुई। इससे पहले आय 541 करोड़ रुपए थी। चुनावी बॉन्ड से महज 171 करोड़ रुपए मिले पहले 236 करोड़ रुपए मिले थे।
चुनावी खर्च में भी आगे है भाजपा
चुनावी खर्च की बात हो तो यहां भी भाजपा पीछे नहीं है। पिछले वित्त वर्ष में चुनाव के दौरान भाजपा ने 1,092.15 करोड़ रुपए खर्च किया है। भाजपा के कुल खर्च का 80 फीसदी विज्ञापन पर हुआ। विज्ञापन पर भाजपा ने 432.14 करोड़ रुपए खर्च किए गए। वहीं कांग्रेस का खर्च पांच गुना कम है। कांग्रेस ने चुनाव में महज 192.55 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। पिछले वित्त वर्ष में भाजपा का कुल खर्च 1361.68 करोड़ रुपए रहा वहीं कांग्रेस का कुल खर्च 467.13 करोड़ रुपए रहा।