नई दिल्ली । राज्यसभा सांसद और जाने माने अधिवक्ता कपिल सिब्बल के मुताबिक दिल्ली आबकारी  मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा सीएम अरविंद केजरीवाल को बातचीत के लिए बुलाना एक पैटर्न है। यह पैटर्न केंद्र सरकार के की कार्य शैली का प्रतीक है। यह पैटर्न काफी समय से चला आ रहा है। ऐसा पहली बार नहीं है कि केंद्र के इशारे पर पहली बार ईडी ने किसी विरोधी दल के नेता को बुलाया है। ईडी द्वारा अरविंद केजरीवाल को बुलाने का मतलब है कि वे हर किसी को या सभी विपक्षी नेताओं को डराने की कोशिश कर रहे हैं। कपिल सिब्बल ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक आने पर कुछ और लोगों को टारगेट किया जा सकता है। इसमें झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना व अन्य प्रदेश में विपक्षी नेता शामिल हो सकते हैं। अभी तो अशोक गहलोत, कमलनाथ, ममता बनर्ती, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, सहित कई नेता जांच एजेंसियों के रडार पर हैं। झारखंड के विपक्षी नेता शिबू सोरेन को पहले ही टारगेट किया जा चुका है। यानी छत्तीसगढ, राजस्थान, तेलंगाना, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, व अन्य विरोधी दल द्वारा शासित प्रदेश के नेता केंद्र के निशाने पर हैं।  उन्होनें कहा कि कौन है, जिसे मोदी सरकार ने टारगेट नहीं किया। उनके निशाने पर आने से कोई नहीं बचा है। यहां तक कि उन्होंने एनसीपी नेता शरद पवार तक को नहीं छोड़ा। महाराष्ट्र में क्या हुआ, आपको पता है कि जब शिव सेना ने बीजेपी से संबंध तोड़ लिया तो क्या हुआ? बीजेपी के कामकाज की ये शैली एक गंभीर मामला है। सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्होंने इंडिया को दो हिस्सों में बांट दिया है। बीजेपी और गठबंधन में शामिल सहयोगी दल वाले राज्य और अन्य विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य।  विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों के नेताओं को अपने हिसाब से निशाने पर लेते रहेंगे। बता दें कि ईडी ने शराब घोटाला मामले में दो नवंबर को सीएम अरविंद केजरीवाल को पूछताछ में शामिल होने को कहा है।