रायपुर। देवों के देव महादेव को सावन का महीना बेहद प्रिय है। इस महीने में जो भक्‍त शिव मंदिरों के दर्शन करते हैं, विधि-विधान से पूजा के साथ सोमवार का व्रत रखते हैं, भगवान उनकी मनोकामना पूरी करते हैं। सावन के पावन महीने में लगातार छत्‍तीसगढ़ के प्राचीन शिवालयों के बारे में बता रहे हैं। ऐसे में आज हम छत्‍तीसगढ़ के बिलासपुर के जल संसाधन विभाग के परिसर में स्थित कालजयी शिव मंदिर के दर्शन करवा रहे हैं।

बिलासपुर का कालजयी शिव मंदिर

बिलासपुर के जल संसाधन विभाग के परिसर स्थित कालजयी शिव मंदिर का विशेष महत्व है। दूर-दूर से भक्त यहां अपने कष्टों की मुक्ति पाने के लिए आते हैं। सावन, महाशिवरात्रि समेत अन्य विशेष अवसरों में विशेष पूजा अर्चना एवं अभिषेक होता है।

मंदिर का इतिहास

मंदिर का निर्माण जलसंसाधन विभाग के मुख्य अभियंता आरपी द्विवेदी और स्टेनो आरके गुप्ता के मार्गदर्शन में 25 मई 2010 में हुआ था। पुजारी बालमुकुंद तिवारी और ज्योतिष मनोज तिवारी सेवा में रहते हैं। ग्रह दोष निवारण और कालसर्प दोष निवारण के लिए विशेष पूजन होता है। इस वजह से यहां बड़ी संख्या में आस्थावान अपने दोषों के निवारण के लिए पहुंचते है।

मंदिर की विशेषता

मान्यता है कि कालजयी महादेव उज्जैन के महाकालेश्वर के रूप में है। वे अपने भक्तों के सभी दोषों और व्याधियों को दूर कर अभय का वरदान देते हैं। कालसर्प दोष निवारण के लिए होने वाले पूजन में नासिक से लाई गई मिट्टी से शिवलिंग समेत नागफस मंत्र बनाकर पूजन करवाया जाता है। मंदिर में कोरबा, रायपुर, अंबिकापुर समेत कई क्षेत्रों से भक्त अपने दोषों की मुक्ति की कामना के साथ पहुंचते हैं।

पुजारी बालमुकुंद तिवारी ने कहा, शिव का अर्थ कल्याण से है। शास्त्रों में भगवान श्रीकृष्ण को जगतगुरु और भगवान शिव को तीनों लोक का गुरु कहते हैं। काजलयी मंदिर में दर्शन मात्र से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंदिर में नवग्रह शांति, पितृदोष, मंगल दोष, महामृत्युंजय जप सहित अनेक अनुष्ठान वैदिक रीति से होते हैं। सावन मास में सभी शिवभक्तों को भोलेनाथ के दर्शन करने के साथ सोमवार को व्रत भी रखना चाहिए।