नई दिल्ली । विवाहित बेटी को अनुकंपा नियुक्ति देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने साफ कहा है कि विधवा मां की मंजूरी के बगैर विवाहित बेटी को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती है। इस तरह, कोर्ट ने विवाहित बेटी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने जीवित मां की मंजूरी के बिना अपने मृत पिता के स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी। बेटी का अपनी मां और भाई के साथ संपत्ति विवाद चल रहा है। मां ने बेटे को अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए अपनी स्वीकृति दी थी, लेकिन वह अनफिट पाया गया। इसके बाद बेटी ने आवेदन कर दिया। 
हालांकि, अधिकारियों ने उसके आवेदन को यह कहकर ठुकरा दिया क्योंकि मां ने उसके नाम पर मंजूरी नहीं दी थी। विवाहित बेटी की तरफ से पेश वकील दुष्यंत पाराशर ने कहा कि 2021 में शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि विवाहित बेटियां भी अनुकंपा नियुक्ति पाने की हकदार हैं। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सीटी रवि कुमार की पीठ ने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस (अराजपत्रित) सेवा नियम 1997 का नियम 2.2 स्पष्ट रूप से कहता है कि नौकरी पाने वाले शख्स को मृतक सरकारी कर्मचारी या उत्तरजीवी माता-पिता की अनुमति आवश्यक है। इस मामले में याचिकाकर्ता का नाम उसकी मां की ओर से मंजूर नहीं किया गया है और इसका कारण वही बेहतर जानती हैं। याचिकाकर्ता के प्रश्न का उत्तर नियम 2.2 में दिया गया है, इस पर न्यायालय की ओर से और विचार करने की आवश्यकता नहीं है। 
ऐसे में विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है। पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता दुष्यंत पाराशर की इस दलील पर गौर किया कि वह मृतक सरकारी कर्मचारी की विवाहित बेटी है, हालांकि विधवा (याचिकाकर्ता की मां) की मंजूरी नहीं है, फिर भी, उसे स्वतंत्र तौर पर अधिकार है कि नियमों की मौजूदा योजना के तहत अनुकंपा नियुक्ति के लिए उसके नाम पर विचार किया जाए। पाराशर ने कहा कि शीर्ष अदालत के पहले के फैसले में कानून तय हो गया है कि विवाहित बेटियां अनुकंपा नियुक्ति की हकदार हैं। पीठ ने कहा कि यह ठीक है, लेकिन इस मामले में नियम 2.2 याचिकाकर्ता का समर्थन नहीं करता है।