नई दिल्ली । चांदनी चौक निर्वाचन क्षेत्र से टिकट कटने के बाद पूर्व हेल्थ मिनिस्टर डॉ. हर्षवर्धन ने 30 वर्ष के अपने राजनीतिक कैरियर को अलविदा कह दिया है। अब वे पूर्वी दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके में अपने ईएनटी क्लीनिक में लौट रहे हैं। लेकिन राजनीति से लौटने के बाद भी अगले कई दशकों तक हेल्थ सेक्टर में उनकी छाप नजर आएगी। पोलियो को देश से जड़ से खत्म करने के लिए उन्होंने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत में ही जो कदम उठाए, उनकी बदौलत ही पोलियो का सफाया हो सका। दिल्ली में एक बार और केंद्र में दो बार हेल्थ मिनिस्टर रहे डॉ. हर्षवर्धन ने एक्स पर लिखा कि अपने करियर में 5 विधानसभा और दो लोकसभा चुनाव बड़े अंतर से जीते। अब वे अपनी जड़ों की ओर वापस जाना चाहते हैं। डॉ. हर्षवर्धन को करियर की शुरुआत में ही जबरदस्त कामयाबी मिली। 1993 में पहला विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना ने अपना हेल्थ मिनिस्टर बनाया। इस दौरान उन्होंने दिल्ली में पोलियो खत्म करने के लिए जबरदस्त पल्स पोलियो अभियान चलाया। बाद में पूरे देश में पोलियो खत्म करने के लिए उनके मॉडल को अपनाया। इस मॉडल की विश्वभर में चर्चा हुई। 1998 में बीजेपी की सरकार हटने के बाद भी डॉ. हर्षवर्धन पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भी रहे और लगातार विधानसभा चुनाव भी जीतते रहे। राजनीतिक मर्यादाओं का पालन करते हुए उन्होंने 2013 में उस वक्त जोड़तोड़ करके सरकार बनाने से इनकार कर दिया, जबकि उन्हें बहुमत के लिए बाहर से बेहद कम विधायकों की जरूरत थी। कई लोग तैयार भी थे लेकिन उन्होंने आगे बढ़कर सरकार बनाने से मना कर दिया।