नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली में हर तीसरा बच्चा अस्थमा से पीड़ित है। ये बात दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को चिंता जताते हुए कही। हाई कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर कहा कि यह अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) नीचे आए। अदालत ने दिल्ली के ग्रीन कवर में सुधार के विभिन्न पहलुओं का जायजा लेते हुए यह टिप्पणी की, जैसे कि पेड़ों को कंक्रीट से मुक्त करना ताकि उन्हें सांस लेने की जगह मिल सके, साउथ रिज से अतिक्रमण हटाना और एक डेडिकेटेड जंगल निर्धारित करना। जस्टिस जसमीत सिंह ने 2021 की TOI रिपोर्ट पर ध्यान देते हुए कहा, एक रिसर्च के अनुसार दिल्ली में हर तीसरे बच्चे को अस्थमा है। हम पेड़ों की देखभाल के लिए सालों तक इंतजार नहीं कर सकते। इस रिसर्च में मेदांता के इंस्टीट्यूट ऑफ चेस्ट सर्जरी के अध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार की स्टडी का उल्लेख था, जिसमें उन्होंने पाया कि दिल्ली के हर तीन स्कूली बच्चों में से लगभग एक को अस्थमा और एयरफ्लो में रुकावट की शिकायत थी। अदालत ने पीडबल्यूडी के प्रधान सचिव को साफ कर दिया, जो पहले के निर्देशों के जवाब में पेश हुए थे। अदालत ने कहा कि एजेंसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी पेड़ों को कंक्रीट रहित किया जाए वरना इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा और कार्यवाही के लिए तैयार रहें। रिज से अतिक्रमण हटाने को लेकर एक अन्य सुनवाई में भी अदालत ने कहा कि हर नागरिक को साफ हवा में सांस लेने का मौलिक अधिकार है। वन विभाग के प्रधान सचिव को अपनी चिंताएं बताते हुए अदालत ने विभाग की लगभग 300 हेक्टेयर भूमि के अतिक्रमण के संबंध में तत्काल कार्रवाई की मांग की। जस्टिस सिंह ने कहा साउथ रिज में क्या हो रहा है? यह चौंकाने वाला है। तीन सौ हेक्टेयर जमीन, सभी पर अतिक्रमण.. यह स्वीकार्य नहीं है। दिल्ली के लोग पेड़ चाहते हैं, यह एक चीज है जो आपके नियंत्रण में है।