नई दिल्ली । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आबकारी नीति मामले में दायर अपने पूरक आरोपपत्र में दावा किया है कि दिल्ली सरकार ने निजी थोक विक्रेताओं (एल-1 लाइसेंस धारक) को 12 प्रतिशत का मार्जिन देकर करीब 581 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान किया है। चार्जशीट के मुताबिक आईएएस रवि धवन की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति की अनदेखी कर उन्हें यह 12 फीसदी कमीशन दिया गया।
ईडी ने दावा किया कि नुकसान को आरोपी मैसर्स इंडो स्पिरिट्स सहित थोक विक्रेताओं के दिखावटी मुनाफे में बदल दिया गया था जिसका इस्तेमाल साउथ ग्रुप द्वारा अग्रिम रूप से भुगतान की गई रिश्वत की वसूली के लिए किया गया था। चार्जशीट में कहा गया है कि विजय नायर को किकबैक के निरंतर भुगतान के लिए निजी थोक विक्रेताओं को 12 प्रतिशत का मार्जिन दिया गया था जो तत्कालीन आबकारी आयुक्त रवि धवन की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के विपरीत था।
चार्जशीट में कहा गया है कि इस तरह सरकार को 581 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ जो सरकार द्वारा विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को स्वीकार किए जाने की स्थिति में प्राप्त हो सकता था मगर आप नेताओं के व्यक्तिगत खजाने को भरने के लिए निजी खिलाड़ियों को सौंपा गया था। ईडी ने चार्जशीट में यह भी दावा किया है कि साउथ ग्रुप प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से नौ रिटेल जोन को नियंत्रित करता है जिसमें सरथ रेड्डी के पांच रिटेल जोन शामिल हैं।
कुछ मामलों में नियंत्रण प्रक्रिया के लिए ईएमडी (बयाना जमा) के वित्तपोषण प्रत्यक्ष निवेश रिश्तेदार-डमी-प्रॉक्सी के माध्यम से था। इंडो स्पिरिट्स के थोक व्यापार से प्राप्त होने वाले प्रत्यक्ष लाभ के अलावा साउथ ग्रुप द्वारा अग्रिम रूप से भुगतान किए गए किकबैक की वसूली के लिए कार्य प्रणाली इंडो स्पिरिट्स के थोक से खुदरा बिक्री तक बकाया के रूप में पैसा चार्जशीट में कहा गया है कि साउथ ग्रुप इस समझ के साथ कि बकाया की वसूली नहीं की जानी थी और खाते की किताबों में राशि को वसूली योग्य दिखाया जाएगा। ईडी ने दावा किया कि सरथ रेड्डी की नियंत्रित संस्थाओं पर इंडो स्पिरिट्स का 60 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया है जिसे बकाया के रूप में दिखाया गया है लेकिन साजिश के तहत बरामद नहीं किया जाना था।