नई दिल्ली । दिल्ली में 2019 से सरकारी बसों में महिलाओं के लिए यात्रा मुफ्त है। इसका असर यह हुआ है कि बसों में कई रूटों पर महिला यात्रियों का औसत 50 प्रतिशत तक पहुंच जा रहा है। यह प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। इसे देखते हुए दिल्ली सरकार बसों में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें बढ़ाने पर विचार कर रही है। परिवहन मंत्री कैलाश गहलाेत ने परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा से सभी पहलुओं पर विचार कर इस बारे में संभावनाएं तलाशने के लिए कहा है। उन्होंने आयुक्त से पूछा है कि बसों में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या कितनी तक बढ़ाई जा सकती है और इस मामले में कोई तकनीकी पहलू तो आड़े नहीं आ रहा है। दिल्ली में सरकार के अंतर्गत चल रहीं बसों की संख्या 7300 से ऊपर है। डीटीसी और क्लस्टर बसों को मिलाकर 40 लाख से अधिक यात्री प्रतिदिन बसों में यात्रा करते हैं। पूर्व में बसों में यात्रा करने वाली महिला यात्रियों का औसत 25 प्रतिशत तक रहता था। उस लिहाज से बसों में कुल सीटों में महिलाओं के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई थीं। उस समय सरकार भैया दूज और रक्षाबंधन पर महिलाओं के लिए बसों की यात्रा मुफ्त रखती थी। मगर 2019 से दिल्ली सरकार ने महिलाओं के लिए यात्रा मुफ्त कर दी है। डीटीसी के एक अधिकारी कहते हैं कि उसके बाद से बसों में महिलाओं का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। वह बताते हैं कि व्यस्त समय में सुबह और शाम को महिलाओं का प्रतिशत कई रूटों पर 45 से 50 तक पहुंच जाता है। अभी बसों में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की बात करें तो वातानुकूलि बसों में महिलाओं के लिए आठ और बगैर वातानुकूलित बसों में 10 सीटें आरक्षित हैं। दैनिक महिला यात्री संघ की महासचिव कमला कश्यप कहती हैं कि व्यस्त समय में बसों में ऐसा हाल हाेता है कि एक-एक घंटे तक महिलाओं को खड़े होकर यात्रा करनी पड़ती है। मगर सीटों पर बैठे पुरुष जरूरतमंद महिलाओं को भी सीट नहीं देते हैं। सीट मांगने पर कई बार पुरुष यह भी कहते हैं कि जब आप लोग बराबरी की बात करती हैं तो खड़े हाेकर यात्रा करने में क्या परेशानी है। पुरुष भी तो खड़े होकर यात्रा करते हैं।