अवैध कालोनियों को कार्रवाई से बचाने वाले प्रविधान को फिर से विस्तार देने की तैयारी.....
नई दिल्ली। दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों पर कार्रवाई से बचाने के लिए वर्ष 2007 में जिस राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (विशेष प्रविधान) लाया गया था, अब फिर से उसे विस्तार देने की तैयारी शुरू हो गई है।
इसके विस्तार के लिए केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने दिल्ली की स्थानीय निकायों से सुझाव मांगा है, जिस पर नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) से लेकर दिल्ली नगर निगम ने अपनी सहमति दे दी है।
एजेंसियों ने एक्ट के विस्तार का समर्थन करते हुए अपने सुझाव केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय को भेज दिए हैं।
संभवत: एक बार फिर से तीन वर्ष के लिए इस एक्ट को लागू रखने का विस्तार किया जाए। मामले में दिल्ली कैंट बोर्ड से भी सुझाव मांगे गए हैं। जानकारी के अनुसार, इस मानसून सत्र में इस एक्ट को संसद में पेश किया जा सकता है। इसी के तहत केंद्र सरकार यह तैयारी कर रही है।
वर्ष 2019 में इस एक्ट को तीन वर्ष के लिए विस्तार दिया गया था, जो कि 31 दिसंबर 2023 तक वैध है। अगर, इसका विस्तार नहीं दिया जाता हे तो एमसीडी और एनडीएमसी क्षेत्र में अधिकृत कालोनियों में वर्ष 2007 तक हुए अवैध निर्माण से और अनधिकृत कालोनियों में जून 2014 तक हुए अवैध निर्माण पर कार्रवाई की तलवार लटक जाएगी।
निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने हमसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (विशेष प्रविधान) 2011 के विस्तार पर राय मांगी थी। हमने अपनी राय दे दी है साथ ही इसका विस्तार आगे करने का समर्थन किया है।
एक अधिकारी ने बताया कि वैसे तो हमने केवल इस एक्ट को विस्तार देने का समर्थन किया था, लेकिन हमारा मानना है कि 2019 में जून 2014 अनधिकृत कालोनियों में संरक्षण दिया गया है। इस कटआफ डेट को भी आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
वहीं, एनडीएमसी के उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने बताया कि ग्राम सभा से लेकर फार्म हाउस ऐसी श्रेणी की संपत्ति हमारे क्षेत्र में नहीं है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा मांगे गए सुझाव पर काउंसिल ने बीते दिनों राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (विशेष प्रविधान) के विस्तार पर सहमति दे दी है।
दिल्ली में 1700 अनधिकृत कालोनियों में रहने वाले करीब 50 लाख संपत्ति मालिकों को इस एक्ट से उनकी संपत्ति में हुए अवैध निर्माण से संरक्षण मिलता है। इसमें 900 कालोनियां कृषि योग्य भूमि पर बसी हैं, जबकि 500 के करीब कालोनियां सरकारी जमीन पर, जबकि 300 के करीब कालोनियों ग्रामसभा की जमीन पर बसी हैं।
कब-कब दिया विस्तार
. 2006 में दिल्ली में बड़ी संख्या में सीलिंग और तोड़फोड़ हुई थी। इसके बाद 2007 में यह कानून एक साल के लिए लाया गया था। इसमें फरवरी 2007 तक अनधिकृत कालोनियों में अवैध निर्माण को नियमित करने की बात कही गई थी।
. वर्ष 2007 से वर्ष 2010 तक इसे एक-एक साल के लिए बढ़ाया गया।
. 2011 में 2014 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यूपीए की सरकार ने इसे पहली बार तीन वर्ष के लिए विस्तार दिया था।
. 2013, 2017, 2019 में इसे फिर तीन-तीन साल के लिए विस्तार दिया गया।
दिल्ली नगर निगम, निर्माण समिति के पूर्व चेयरमैन, जगदीश ममगांई ने कहा- इस एक्ट को बार-बार विस्तार देने के बजाय इसका स्थायी समाधान निकाला जाना चाहिए। इसका एकमात्र समाधान जैसा है वैसे के आधार पर इन कालोनियों को नियमित किया जाए।
फिर यहां पर नक्शा पास करने की अनुमति देकर लोगों को नक्शे से मकान बनाने की इजाजत दी जाए। तब ही इसका स्थायी समाधान हो सकता है। अन्यथा अवैध कालोनियों को कार्रवाई से बचाने के लिए इस एक्ट को इसी प्रकार बार-बार विस्तार देना पड़ेगा।