कांग्रेस के लिए जनसमर्थन जुटाना खासा मुश्किल हो रहा है। जीत के लिए कांग्रेस अब ऐसे हथकंडे भी अपना रही है जिसका कभी पार्टी ने खुद ही विरोध किया था। हिंदु धर्म के लिए जनता के विश्वास और श्रद्धा को देखते हुए कांग्रेसी नेता भी अब अपनी छवि को बदलने में लगे हैं। कुछ दिन पहले ही दिग्विजय सिंह ने कहा था कि मैं हिंदू समर्थक हूं, अब राहुल गांधी भी मंदिर मंदिर न सिर्फ मत्था टेक रहे हैं बल्कि फोटो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट की जा रही है, जिससे बड़ी संख्या में हिंदू मतदाताओं को प्रभावित किया जा सके। 
कांग्रेस धर्म निरपेक्ष होने की अपनी छवि से अब बाहर आना चाहती है। कांग्रेसी नेता समय समय पर अपनी गतिविधियों से इस बात का प्रमाण देते रहते हैं कि वह हिंदू समर्थक है और इस देश में हिंदुओं का भला चाहने वाले हैं। रामनवमी पर सोनिया गांधी रामलीला में पहुंचकर राम लक्ष्मण का तिलक करती हैं, उन्हें रामायण भी भेंट की गई। इसके बाद उज्जैन महाकाल के मंदिर में कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह चुनाव से ठीक पहले पहुंच जाते हैं और सार्वजनिक रूप से कहते हैं कि वह हिंदू समर्थक हैं। इसी परिपाटी का अनुपालन करते हुए अब राहुल गांधी भी समय-समय पर बनारस और केदारनाथ से अपनी फोटो पोस्ट करते रहते हैं। चुनाव आते ही राम को याद करने की कांग्रेस की चाल को जनता अब अच्छी तरह समझ चुकी है। जिसका असर चुनाव परिणामों पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। जनता को पता है कि चुनाव के समय और चुनाव के बाद कांग्रेस की कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क होता है। जनता को यह भी पता है कि यदि कांग्रेस हिंदू समर्थक होती तो अयोध्या में राम मंदिर बनने में इनता समय नहीं लगता। कांग्रेस ने समय समय पर हिंदू विरोधी पार्टी होने का प्रमाण दिया है, लेकिन अब चुनाव के लिए पूरी पार्टी ‘राम भरोसे’ हो गई है।