रायपुर। छत्तीसगढ़ में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए वन विभाग ने ग्लोबल टाइगर फोरम संस्थान से अनुबंध किया है। इनकी सलाह से बाघों के अनुकूल रहवास की पहचान की जा रही है। अचानकमार टाइगर रिजर्व में कोर इलाके के करीब 78.78 वर्ग किलोमीटर में 25 गांवों को पुनर्स्थापन (शिफ्टिंग) करने की योजना है। इनमें छह गांव काे हटाकर दूसरे जगह बसाया जा चुका है। तीन का अंतिम चरण में है। अभी 16 गांव बाकी हैं। इसके बाद रिजर्व में दो मादा बाघ और एक नर बाघ छोड़ा जाएगा।

रि-इंट्रोडक्शन फार्मूला से बढ़ा रहे संख्या, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से आएंगे बाघ

इसके लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने अनुमति दे दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से दो मादा बाघ और एक नर बाघ छत्तीसगढ़ को देने का अनुरोध किया है। जिन राज्यों में बाघों की संख्या ज्यादा है वहां से बाघ लाने से प्रदेश में बाघों का कुनबा बढ़ाने को राज्य सरकार ने यह नीति बनाई है। इसे रि-इंट्रोडक्शन फार्मूला कहा जाता है।

रेडियो कालर लगाकर अनुकूल रहवास की तलाश

फिलहाल अचानकमार टाइगर रिजर्व में एक मादा बाघ को छोड़ा गया है। वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम ने मादा बाघ को रेडियो कालर लगाया है ताकि अचानकमार के अनुकूल रहवास को समझा जा सके। इसके लिए वन विभाग ने निगरानी टीम को पन्ना टाइगर रिजर्व में विशेष रूप से प्रशिक्षित कराया है। इस टीम में भारतीय वन्यजीव संस्थान के दो रिसर्च स्कालर और वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम भी विशेष रूप से तैनात हैं।

इस वर्ष बाघों की संख्या बढ़ने की उम्मीद

वर्तमान में अचानकमार रिजर्व में आठ बाघ हैं। गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में दो और इंद्रावती टाइगर रिजर्व में छह बाघ हैं। मई में मैत्री बाग भिलाई में सफेद बाघ के तीन शावकों की तस्वीर सामने आई थी। अधिकारियों को उम्मीद है कि इस बार बाघों की संख्या बढ़ेगी।

ज्ञात हो कि वर्ष 2014 में प्रदेश में 46 बाघ हुआ करते थे, मगर 2018 की गणना में बाघों की संख्या घटकर सिर्फ 19 रह गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले अप्रैल में कर्नाटक के मैसूर में टाइगर प्रोजेक्ट के 50 वर्ष पूरे होने पर अनुमानित बाघों की संख्या की रिपोर्ट जारी की थी। इसके अनुसार भारत में बाघों की संख्या बढ़कर तीन हजार 167 हो गई है।

प्रदेश के टाइगर रिजर्व की ये है स्थिति

छत्तीसगढ़ में तीन टाइगर रिजर्व हैं-अचानकमार, उदंती-सीतानदी और इंद्रावती हैं। राष्ट्रीय रैंकिंग के अनुसार अचानकमार टाइगर रिजर्व 39वें स्थान पर है। जबकि उदंती सीतानदी 48वें और इंद्रावती 50वें नंबर पर है। तीन श्रेणियों में किए गए आकलन में एक्सीलेंट, वेरी गुड, गुड और फेयर श्रेणी में बांटा गया है। इसमें अचानकमार टाइगर रिजर्व तीसरी श्रेणी गुड में है। बाकी दोनों फेयर यानी अंतिम श्रेणी में हैं।

छत्तीसगढ़ वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ सुधीर कुमार अग्रवाल ने कहा, बाघों के संरक्षण के लिए ग्रासलैंड, जलस्त्रोत और सुरक्षा के लिए सतत रूप से काम किया जा रहा है। अंतरराज्यीय कारिडोर से भी बाघ के आने पर उसे अनुकूल रहवास देने की कोशिश है।