नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निवेशकों को एक नए तरह का विकल्प लाने का प्रस्ताव दिया है, जो बाजार में जोखिम उठाकर ज्यादा से ज्यादा कमाई कर सकते हैं। अभी पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं (पीएमएस) या वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) बहुत महंगे हैं। अभी सेबी ने इस नए प्रोडक्ट को नाम नहीं दिया है और इसमें निवेश के लिए कम से कम 10 लाख रुपए लगाने होंगे। यह सीमा पीएमएस (50 लाख) और एआईएफ (एक करोड़ रुपए) से काफी कम है।  वहीं, म्यूचुअल फंड में तो सिर्फ 100 रुपए से भी निवेश शुरू किया जा सकता है।
सेबी का कहना है कि वह नए तरह का निवेश का तरीका लाना चाहता है। इसमें ज्यादा पैसा लगाना होगा और ज्यादा रिस्क भी उठाना होगा। ये इसलिए ताकि लोग जोखिम वाले गलत निवेश ना करें। नया तरीका ना तो म्यूचुअल फंड जैसा होगा ना ही प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट जैसा, बल्कि दोनों के बीच का रास्ता होगा। सेबी को लगता है कि अभी तक ऐसा कोई निवेश का तरीका नहीं है जिसमे थोड़ा ज्यादा रिस्क लेकर ज्यादा कमाई की जा सके। 
इसी का फायदा उठाकर गलत लोग ज्यादा मुनाफे का झांसा देकर लोगों को ठगते हैं। इसलिए सेबी नया निवेश ला रहा है। ये तरीका म्यूचुअल फंड जैसा होगा लेकिन थोड़ा ज्यादा जोखिम वाला। इसमें शेयर बाजार के कुछ ऐसे तरीकों का इस्तेमाल भी किया जाएगा जो आम तौर पर म्यूचुअल फंड में इस्तेमाल नहीं होते हैं। जैसे म्यूचुअल फंड सिर्फ शेयरों को गिरने से बचाने के लिए ही एक अलग तरह का दांव लगा सकते हैं। वहीं, नया तरीका सीधे शेयरों के ऊपर या नीचे जाने का दांव लगाने की इजाजत देगा। इससे ज्यादा फायदा हो सकता है, लेकिन ज्यादा नुकसान का भी रिस्क है। इसी तरह, नए तरीके में सरकारी बॉन्ड या रीट और इनविट में निवेश की सीमाएं थोड़ी ढीली होंगी, मतलब आप इनमें थोड़ा ज्यादा पैसा लगा सकेंगे।
सेबी इस नए निवेश तरीके को म्यूचुअल फंड और बाकी निवेश विकल्पों से अलग दिखाना चाहता है ताकि लोग इसे गलत नहीं समझें। इस नए तरीके का एक अलग नाम होगा ताकि ये साफ हो कि ये ना तो म्यूचुअल फंड है और ना ही प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट, एआईएफ, रीट या इनविट जैसा कोई दूसरा मौजूदा निवेश है। सेबी ने बताया है कि कौन सी कंपनियां इस नए निवेश तरीके की पेशकश कर सकती हैं। इसके लिए सिर्फ वही कंपनियां योग्य होंगी जो कम से कम तीन साल से बाजार में मौजूद हैं और जिनके पास 10,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति है। अगर कोई कंपनी इन शर्तों को पूरा नहीं करती तो भी वह कुछ और शर्तें पूरी करके आवेदन कर सकती है। इसके लिए उस कंपनी को मुख्य निवेश अधिकारी को नियुक्त करना होगा जिसके पास कम से कम 10 साल का फंड मैनेजमेंट का अनुभव हो और कम से कम 5,000 करोड़ रुपए की संपत्ति का प्रबंधन करने का अनुभव हो। साथ ही उन्हें नए निवेश तरीके के लिए एक और फंड मैनेजर की नियुक्ति भी करनी होगी जिसके पास कम से कम साल साल का फंड मैनेजमेंट का अनुभव हो और कम से कम 3,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का प्रबंधन करने का अनुभव हो। सेबी ने इस नए निवेश के बारे में लोगों से छह अगस्त तक सुझाव मांगे हैं।